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भारतीय रिज़र्व बैंक की अगली MPC बैठक 4-6 अगस्त को

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 4 से 6 अगस्त 2025 के बीच होने वाली है। इस बैठक में रेपो रेट और अन्य मौद्रिक नीतियों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे, जिनका देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। अर्थशास्त्रियों और बाजार विश्लेषकों की नजरें इस बैठक पर टिकी हुई हैं, क्योंकि मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास के हालातों के बीच RBI को संतुलन बनाना होगा।

MPC बैठक: क्या है एजेंडा?

RBI की MPC बैठक में मुख्य रूप से निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा होगी:

  1. रेपो रेट में संशोधन: वर्तमान में रेपो रेट 6.50% पर स्थिर है। क्या RBI इसे बरकरार रखेगा या बढ़ोतरी/कटौती करेगा?
  2. मुद्रास्फीति पर नजर: जून 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) 4.7% रही, जो RBI के 4% के लक्ष्य से ऊपर है। क्या MPC मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाएगी?
  3. विकास दर का अनुमान: पिछली बैठक में RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP विकास दर 7% रखी थी। क्या इसमें कोई बदलाव होगा?
  4. तरलता प्रबंधन: बैंकिंग प्रणाली में नकदी की उपलब्धता और ऋण वृद्धि पर भी चर्चा होगी।

 

क्या रेपो रेट में बदलाव होगा?

अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि RBI इस बैठक में रेपो रेट (वह दर जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है) को 6.50% पर ही बनाए रखेगा। इसकी वजह यह है कि मुद्रास्फीति अभी भी लक्ष्य से ऊपर है, लेकिन वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण RBI ब्याज दरों में तेजी से बदलाव नहीं करना चाहेगा। हालांकि, अगर मुद्रास्फीति और बढ़ती है, तो MPC रेपो रेट में 0.25% की वृद्धि कर सकती है, जिससे होम लोन, कार लोन और अन्य ऋण महंगे हो जाएंगे।

 

मुद्रास्फीति और विकास दर की स्थिति

खाद्य महंगाई: प्याज, टमाटर और दालों की कीमतों में उछाल ने हाल में मुद्रास्फीति को प्रभावित किया है।

तेल की कीमतें: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें स्थिर हैं, लेकिन यदि ये बढ़ती हैं, तो मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ेगा।

विनिर्माण और सेवा क्षेत्र: IIP (औद्योगिक उत्पादन सूचकांक) और PMI (Purchasing Managers’ Index) के आंकड़े सकारात्मक रहे हैं, जो आर्थिक विकास का संकेत देते हैं।

 

बाजार और निवेशकों पर प्रभाव

शेयर बाजार: यदि RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो इक्विटी बाजार को बढ़ावा मिल सकता है।

बॉन्ड यील्ड: ब्याज दरों में कोई बदलाव न होने पर सरकारी बॉन्ड की यील्ड स्थिर रह सकती है।

रुपया: RBI की नीतियों से विदेशी निवेशकों का रुख भी प्रभावित होगा, जिससे रुपये की विनिमय दर पर असर पड़ सकता है।

 

RBI गवर्नर का बयान

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास इस बैठक के बाद 6 अगस्त को अपना नीतिगत बयान देंगे। उनके बयान में आर्थिक स्थिरता, बैंकिंग क्षेत्र की सेहत और भविष्य की योजनाओं पर महत्वपूर्ण संकेत मिलेंगे।

 

निष्कर्ष

4-6 अगस्त को होने वाली MPC बैठक में RBI की ओर से कोई बड़ा बदलाव नहीं होने की संभावना है, लेकिन मुद्रास्फीति और वैश्विक आर्थिक हालातों को देखते हुए नीतिगत सावधानी बरती जाएगी। आम लोगों को होम लोन, कार लोन और FD ब्याज दरों में बदलाव की संभावना के लिए तैयार रहना चाहिए। अगले सप्ताह RBI के फैसले से बाजारों में नई दिशा मिल सकती है।

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