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फ्लिपकार्ट ने आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल में अपनी 6% हिस्सेदारी बेची: 587.71 करोड़ रुपये का सौदा

5 जून 2025 – वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड (ABFRL) में अपनी पूरी 6% हिस्सेदारी बेच दी है। यह सौदा 587.71 करोड़ रुपये में हुआ, जिसमें फ्लिपकार्ट ने 7.31 करोड़ शेयरों को औसतन 80.32 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बेचा।

सौदे का विवरण

फ्लिपकार्ट इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, जो फ्लिपकार्ट का पूर्ण स्वामित्व वाला उपक्रम है, ने यह बिक्री ब्लॉक डील के माध्यम से की। इस सौदे के बाद ABFRL के शेयरों में लगभग 11% की गिरावट देखी गई, और वे NSE पर 76.94 रुपये प्रति शेयर के स्तर पर बंद हुए।

 

यह सौदा पूरी तरह से द्वितीयक था, जिसमें कंपनी ने कोई नया शेयर जारी नहीं किया। गोल्डमैन सैक्स इस डील का एकमात्र बुक रनर था।

पृष्ठभूमि: फ्लिपकार्ट और ABFRL का संबंध

फ्लिपकार्ट ने अक्टूबर 2020 में ABFRL में 1,500 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिससे उसे 7.8% हिस्सेदारी प्राप्त हुई थी। इस निवेश का उद्देश्य फ्लिपकार्ट के फैशन पोर्टफोलियो को मजबूत करना और ऑफलाइन उपस्थिति बढ़ाना था।

हालांकि, समय के साथ ABFRL द्वारा नए शेयर जारी करने के कारण फ्लिपकार्ट की हिस्सेदारी घटकर 6% रह गई थी।

 

ABFRL का प्रदर्शन और भविष्य की योजनाएं

ABFRL, जो Pantaloons, Van Heusen, Allen Solly और Louis Philippe जैसे ब्रांड्स का संचालन करती है, ने हाल ही में मार्च 2025 को समाप्त तिमाही में 23.55 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 266.36 करोड़ रुपये के घाटे से कम है। इस अवधि में कंपनी की परिचालन आय 1,719.48 करोड़ रुपये रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 1,575.12 करोड़ रुपये थी।

 

कंपनी ने FY27 तक लाभप्रदता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है और नुकसान में चल रहे ब्रांड्स जैसे TCNS, Tasva और TMRW को पुनर्जीवित करने के लिए 500 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई है।

 

 

निष्कर्ष

फ्लिपकार्ट का ABFRL से पूर्ण रूप से बाहर निकलना एक रणनीतिक कदम है, जो उसके पोर्टफोलियो के पुनर्गठन और पूंजी के पुनः आवंटन की दिशा में संकेत करता है। वहीं, ABFRL के लिए यह समय अपने ब्रांड्स को पुनर्जीवित करने और लाभप्रदता की दिशा में आगे बढ़ने का है।

 

यह सौदा भारतीय फैशन और रिटेल उद्योग में महत्वपूर्ण बदलावों का संकेत देता है, जहां कंपनियां अपने निवेश और रणनीतियों को पुनः मूल्यांकन कर रही हैं।

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