RBI मौद्रिक नीति जून 2025: रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 जून 2025 को अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की घोषणा की, जिससे रेपो रेट 6% से घटकर 5.5% हो गया। यह फरवरी 2025 के बाद तीसरी लगातार कटौती है, जिसके साथ कुल 100 बेसिस पॉइंट की कमी हो चुकी है। इसके अतिरिक्त, RBI ने कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को 100 बेसिस पॉइंट घटाकर 3% कर दिया, जिससे बैंकिंग सिस्टम में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी जारी होगी। यह फैसला 5-1 के बहुमत से लिया गया, जिसमें एक सदस्य ने 25 बेसिस पॉइंट की कटौती का समर्थन किया। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नीति को ‘न्यूट्रल’ स्टांस पर रखा, ताकि वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर भविष्य में लचीलापन बना रहे।
आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति अनुमान
RBI ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि का अनुमान 6.5% पर बनाए रखा, जिसमें तिमाही अनुमान इस प्रकार हैं: Q1 में 6.5%, Q2 में 6.7%, Q3 में 6.6%, और Q4 में 6.3%। मुद्रास्फीति (CPI) का अनुमान 4% से घटाकर 3.7% कर दिया गया, जो खाद्य कीमतों में कमी और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के कारण है। मल्होत्रा ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ है और कोर मुद्रास्फीति स्थिर बनी हुई है, जिससे RBI को विकास को बढ़ावा देने के लिए मौद्रिक नीति में ढील देने का मौका मिला। हालांकि, उन्होंने वैश्विक व्यापार तनावों, विशेष रूप से अमेरिका के टैरिफ नीतियों के कारण अनिश्चितताओं पर नजर रखने की बात कही।
रेपो रेट और CRR कटौती का प्रभाव
50 बेसिस पॉइंट की रेपो रेट कटौती से होम लोन, ऑटो लोन और अन्य ऋणों की ब्याज दरें कम होने की उम्मीद है, जिससे उधारकर्ताओं की मासिक किस्तें (EMI) कम होंगी। CRR में 100 बेसिस पॉइंट की कमी चार चरणों (6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर) में लागू होगी, जिससे बैंकों के पास उधार देने के लिए अधिक नकदी उपलब्ध होगी। इससे MSME और रिटेल क्षेत्र में क्रेडिट की मांग बढ़ने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे क्षेत्रों में मांग को बढ़ावा देगा।
वैश्विक अनिश्चितताओं पर RBI की नजर
गवर्नर मल्होत्रा ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों के प्रभाव पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इन नीतियों से भारत के निर्यात और GDP वृद्धि पर 20-40 बेसिस पॉइंट का असर पड़ सकता है। फिर भी, भारत की अर्थव्यवस्था अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है, और RBI इस अनिश्चितता का सामना करने के लिए सक्रिय नीतियां अपनाएगा। भारतीय रुपये की हालिया कमजोरी (87.59 प्रति डॉलर के निचले स्तर) पर मल्होत्रा ने कहा कि RBI किसी विशिष्ट दर को लक्षित नहीं करता, बल्कि अत्यधिक अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करता है।
गैर-नीतिगत उपाय
RBI ने कई गैर-नीतिगत उपायों की भी घोषणा की। गोल्ड लोन के लिए दिशानिर्देशों को तर्कसंगत बनाने की योजना है, जिसके लिए जल्द ही ड्राफ्ट जारी किया जाएगा। इसके अलावा, डिजिटल भुगतान में धोखाधड़ी को रोकने के लिए सुरक्षित वेबसाइट डोमेन शुरू करने और यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI) को बढ़ावा देने की घोषणा की गई। को-लेंडिंग नियमों को सभी विनियमित संस्थाओं और ऋण श्रेणियों तक विस्तारित किया जाएगा, जिससे MSME और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण उपलब्धता बढ़ेगी।
बाजार और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
रेपो रेट और CRR में कटौती की घोषणा के बाद, निफ्टी बैंक इंडेक्स में 500 अंकों की उछाल देखी गई, जो बाजार के उत्साह को दर्शाता है। विशेषज्ञों ने इस कदम को ‘फ्रंट-लोडेड’ करार दिया, जिसका मतलब है कि RBI ने विकास को बढ़ावा देने के लिए तेजी से कदम उठाया है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि न्यूट्रल स्टांस और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण निकट भविष्य में और कटौती की संभावना सीमित हो सकती है। रियल एस्टेट और NBFC जैसे क्षेत्रों को इस नीति से सबसे अधिक लाभ होने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
RBI की जून 2025 की मौद्रिक नीति ने विकास को प्राथमिकता देते हुए अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने का प्रयास किया है। रेपो रेट और CRR में कटौती से उधारकर्ताओं को राहत मिलेगी और MSME, रियल एस्टेट और उपभोक्ता मांग को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, वैश्विक व्यापार तनाव और रुपये की अस्थिरता पर RBI की सतर्क नजर बनी रहेगी।