फंडिंग में गिरावट, फिर भी भारतीय स्टार्टअप्स कर रहे धमाल
भले ही फंडिंग में गिरावट आई हो और यूनिकॉर्न की संख्या घटी हो, लेकिन उद्योग जगत के दिग्गज भारतीय स्टार्टअप्स के भविष्य को लेकर आशावादी हैं।
लंबे समय तक रकम की कमी और यूनिकॉर्न की संख्या में कमी के बावजूद भारतीय उद्योग जगत स्टार्टअप की वृद्धि के को लेकर आशावादी बना हुआ है। पूंजी निवेश की तुलना में नवाचार, लचीलापन और टिकाऊ व्यापार मॉडल ज्यादा मायने रखते हैं।
ईपूंजी अपना रास्ता मूल्य सृजन की दिशा में खोज लेती है। इसमें झटके और कुछ उतार-चढ़ाव हो सकते हैं, लेकिन भारत में स्टार्टअप के नजरिए से हम स्वर्णिम युग में हैं। प्रौद्योगिकी के लिए जिस तरह की स्वीकृति और चाह है, साथ ही ऑपरेटरों और टीमों के भीतर समाधान तैयार करने की जो क्षमताएं हैं, वे अभूतपूर्व है।
पूंजी रिटर्न की तलाश में है। भारत में कंपनियां प्रौद्योगिकी के माध्यम से मूल्य निर्माण कर रही हैं और फंड उस अवसर में निवेश करना चाहते हैं।
मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन के अनुसार 2025 में फरवरी तक इक्विटी फंडिंग के 235 दौर में 1.33 अरब डॉलर जुटाए जा चुके हैं। पिछले साल इसी अवधि में देश में 497 दौर में 2.46 अरब डॉलर जुटाए गए थे।
कुछ दशकों में विकसित होने वाले इकोसिस्टम पर ध्यान देना चाहिए, न कि केवल कुछ वर्षों में। वैश्विक स्तर पर एक समय था जब फंडिंग आसान थी, अमेरिका में ब्याज दरें कम थीं और कंपनियों को जितना संभव था, उतना मिल रहा था, लेकिन वह चक्र बदल गया है।
2022 की तेजी के बाद भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम ने इस तरह की कोई फंडिंग नहीं जुटाई है। 2021 में स्टार्टअप इकोसिस्टम ने कुल 37.7 अरब डॉलर की फंडिंग जुटाई, 2022 में उन्होंने 25.9 अरब डॉलर जुटाए। तब से फंडिंग में गिरावट आ रही है। ट्रैक्सन के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023 में कुल 10.9 अरब डॉलर की फंडिंग हुई और 2024 में स्टार्टअप ने 11.4 अरब डॉलर जुटाए।
भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में 2023 में केवल दो और 2024 में छह यूनिकॉर्न थे। लॉजिस्टिक्स एआई सॉल्यूशंस, नेत्राडाइन 2025 का पहला यूनिकॉर्न बन गया।