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नारायण मूर्ति के 18 महीने के पोते एकाग्र की संपत्ति: इंफोसिस शेयरों से 10.65 करोड़ की कमाई

इंफोसिस के सह-संस्थापक एन. आर. नारायण मूर्ति ने अपने 18 महीने के पोते एकाग्र रोहन मूर्ति को कंपनी के 15 लाख शेयर उपहार में दिए थे, जिनकी कीमत उस समय 240 करोड़ रुपये से अधिक थी। यह उपहार तब दिया गया जब एकाग्र मात्र चार महीने के थे। अब, इंफोसिस द्वारा हाल ही में घोषित डिविडेंड के परिणामस्वरूप, एकाग्र ने वित्तीय वर्ष 2025 में 10.65 करोड़ रुपये की डिविडेंड आय अर्जित की है, जिससे वह भारत के सबसे कम उम्र के करोड़पतियों में से एक बन गए हैं। यह खबर न केवल उनके परिवार की संपत्ति की विशालता को दर्शाती है, बल्कि भारत में धन के पीढ़ीगत हस्तांतरण पर भी चर्चा छेड़ रही है।

एकाग्र की शेयरholding और डिविडेंड आय

एकाग्र रोहन मूर्ति, जो नवंबर 2023 में रोहन मूर्ति और अपर्णा कृष्णन के घर बेंगलुरु में पैदा हुए, के पास इंफोसिस में 0.04% हिस्सेदारी है, जो 15 लाख शेयरों के बराबर है। मार्च 2024 में, जब नारायण मूर्ति ने यह उपहार दिया, तब इन शेयरों की कीमत 240 करोड़ रुपये थी। इंफोसिस ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए 49 रुपये प्रति शेयर का कुल डिविडेंड घोषित किया, जिसमें 22 रुपये का अंतिम डिविडेंड और 27 रुपये का अंतरिम डिविडेंड शामिल है। इसके परिणामस्वरूप, एकाग्र को 7.35 करोड़ रुपये अंतरिम डिविडेंड और 3.3 करोड़ रुपये अंतिम डिविडेंड के रूप में मिले, जिससे उनकी कुल डिविडेंड आय 10.65 करोड़ रुपये हो गई। डिविडेंड की रिकॉर्ड तारीख 30 मई 2025 थी, और भुगतान 30 जून 2025 को होना है।

मूर्ति परिवार की इंफोसिस में हिस्सेदारी

नारायण मूर्ति ने अपने पोते को शेयर उपहार में देने के बाद अपनी हिस्सेदारी 0.40% से घटाकर 0.36% (1.51 करोड़ शेयर) कर ली। उनकी पत्नी सुधा मूर्ति के पास 0.93% हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत लगभग 5,600 करोड़ रुपये है। उनके बेटे रोहन मूर्ति के पास 1.64% और बेटी अक्षता मूर्ति, जो यूके के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी हैं, के पास 1.04% हिस्सेदारी है। इस डिविडेंड घोषणा से रोहन मूर्ति को 261.5 करोड़ रुपये और अक्षता मूर्ति को 85.71 करोड़ रुपये की आय हुई। सुधा मूर्ति को 76 करोड़ रुपये का डिविडेंड मिला। मूर्ति परिवार की कुल हिस्सेदारी इंफोसिस में 4.02% है, जो कंपनी के प्रोमोटर समूह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इंफोसिस का वित्तीय प्रदर्शन

इंफोसिस, जिसकी स्थापना 1981 में 10,000 रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ हुई थी, आज भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी है, जिसका बाजार पूंजीकरण 5.88 लाख करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 7,033 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में 7,969 करोड़ रुपये की तुलना में 11.7% कम है। हालांकि, राजस्व में 8% की वृद्धि हुई, जो 37,923 करोड़ रुपये से बढ़कर 40,925 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन 21% रहा। इन मजबूत वित्तीय परिणामों ने डिविडेंड भुगतान को संभव बनाया, जिससे मूर्ति परिवार सहित शेयरधारकों को लाभ हुआ।

सामाजिक प्रतिक्रियाएं और कर निहितार्थ

एकाग्र की संपत्ति की खबर ने सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा छेड़ दी है। कुछ लोगों ने इसे धन के पीढ़ीगत हस्तांतरण का उदाहरण बताया, जबकि अन्य ने नारायण मूर्ति के 70 घंटे साप्ताहिक काम के बयान के साथ तुलना कर मजाकिया टिप्पणियां कीं। कर विशेषज्ञों के अनुसार, दादा-दादी से पोते को शेयरों का उपहार कर-मुक्त है, क्योंकि यह भारत के आयकर अधिनियम, 1961 के तहत रिश्तेदारों के बीच उपहार की छूट में आता है। हालांकि, डिविडेंड आय पर एकाग्र के माता-पिता को कर देना होगा। शेयरों की बिक्री पर भविष्य में पूंजीगत लाभ कर लागू होगा, जो वर्तमान में 10% है।

निष्कर्ष

नारायण मूर्ति का अपने 18 महीने के पोते एकाग्र को 240 करोड़ रुपये के शेयर उपहार में देना और उससे 10.65 करोड़ रुपये की डिविडेंड आय ने भारत में धन और विरासत के हस्तांतरण पर नई बहस छेड़ दी है। इंफोसिस, जिसे सुधा मूर्ति के 10,000 रुपये के शुरुआती निवेश से शुरू किया गया था, आज एक वैश्विक आईटी दिग्गज है। एकाग्र की कहानी न केवल मूर्ति परिवार की वित्तीय शक्ति को दर्शाती है, बल्कि भारत में कॉर्पोरेट सफलता और पारिवारिक विरासत की गाथा को भी उजागर करती है।

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