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इंजन ऑयल समय पर नहीं बदलवाने से भारी आर्थिक और तकनीकी नुकसान

“इंजन ऑयल समय पर नहीं बदला तो पड़ सकती है भारी चपत, जानें सही समय …इंजन ऑयल बदलवाने का ”

ऑयल का महत्व – कैसे इंजन को बचाता है?

इंजन ऑयल का मुख्य कार्य होता है इंजन के चलने वाले हिस्सों (जैसे पिस्टन, सिलेंडर वॉल्स) को चिकनाई देना, जिससे घर्षण कम हो और तापमान नियंत्रित बना रहे। पुराना ऑयल गंदगी, धूल, धातु कण और डेब्रीज़ इकट्ठा करता है, जिससे घर्षण बढ़ता है और समय-समय पर इंजन फेल्योर हो सकता है ।

ऑयल बदलने का सही समय

मैनुअल का पालन: हर वाहन निर्माता इंजन ऑयल बदलने का माइल्सेज़ या समय अंतराल स्पष्ट रूप से मैनुअल में बताता है, जो आम तौर पर 5,000–10,000 किमी या 6 महीने में 1 बार होता है ([navbharatlive.com][1])।

ड्राइविंग परिस्थितियाँ:

शहरी, ट्रैफिक भरी ड्राइविंग: लगातार ब्रेक और स्टार्ट-स्टॉप की वजह से ऑयल जल्दी गंदा होता है।

धूलभरे रास्तों या पहाड़ी क्षेत्रों: धूल और तापमान के उच्च उतार अभीसे कर ऑयल जल्दी क्षतिग्रस्त हो सकता है, ऐसे में अंतराल को कम करें ।

 

ऑयल का प्रकार और अंतर

 

| ऑयल प्रकार       | बदलने का अंतराल                                 |

| —————- | ———————————————– |

| मिनरल ऑयल   | लगभग हर 5,000 किमी                              |

|सिंथेटिक ऑयल | करीब 7,500–10,000 किमी |

 

मिनरल ऑयल: सस्ती, लेकिन जल्दी गंदा और गिरावट आती है।

सिंथेटिक ऑयल: महंगी पर ज्यादा स्थिर और लंबे समय तक टिकाऊ; उच्च तापमान और क्लाइमेट के लिए उपयुक्त।

 

देरी से बदलने के संभावित नुकसान

  1. ऊँचा घर्षण – अधिक तापमान: पुराना ऑयल चिकनाई कम देता है, जिससे इंजन हिस्सों में अधिक घर्षण बढ़ता है और गर्मी उत्पादन भी बढ़ता है।
  2. पिस्टन रिंग या सिलेंडर स्कोरिंग: अतिरिक्त घर्षण से पिस्टन रिंग्स और सिलेंडर वॉल्स के बीच स्कोरिंग हो सकती है।
  3. हीटिंग और इंजन लॉक‑अप: लंबे समय तक गंदे ऑयल से इंजन अत्यधिक गर्म हो सकता है, जिससे पिस्टन लॉक या इंजन सीज जैसी समस्या हो सकती है।
  4. टाइमिंग चैन या स्ट्रक्चरल फेल्योर: लास्ट स्टेज में इंजन के प्रमुख हिस्सों जैसे समय‑श्रृंखला या समय‑चेन पर भी विपरीत प्रभाव का खतरा रहता है, जिससे इंजन पूरी तरह से बंद हो सकता है।

रिपेयर पर खर्च ₹1,000 से ₹1,00,000 से ऊपर भी जा सकता है ।

 

तेल बदलते समय सावधानियाँ

ऑयल बदलना एक आसान लेकिन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। निम्न चीज़ों का ध्यान रखें:

  1. सही ऑयल चुने: वाहन निर्माता के निर्दिष्ट ग्रेड और विनिर्देशों के अनुरूप ऑयल (जैसे 5W‑30, 10W‑40 आदि) का चयन करें। साथ ही फ़िल्टर भी बदलना चाहिए ।

 

फायदा – लंबी अवधि में आर्थिक समझदारी

इंजन की उम्र बढ़ती है: ताज़ा ऑयल इंजन को सही से चिकनाई देकर उसकी लाइफ़ और विश्वसनीयता बढ़ाता है।

बेहतर परफॉर्मेंस और माइलेज: बेहतर अंदरूनी स्थिति से इंजन स्मूद चलता है, माइलेज में सुधार होता है।

कम मेंटेनेंस खर्च: इंजन फेल्योर के कारण होने वाली भारी मरम्मत बचती है।

फ्यूचर रेसेल वैल्यू: वाहन का इंजन हिस्ट्री अच्छी रहने से पुनर्विक्रय मूल्य बेहतर रहता है।

 

निष्कर्ष

इंजन ऑयल जीवनदायिनी है—यह इंजन को दक्ष, ठंडा और संरक्षित रखता है।

अपने वाहन मैनुअल के अनुसार नियमित अंतराल पर ऑयल बदलें—आमतौर पर 5,000–10,000 किमी या 6‑12 महीनों में एक बार।

ड्राइविंग परिस्थितियों (जैसे ट्रैफिक, दरदर्द, भूकंपीय रास्तों आदि) की वजह से समय को और संकुचित करें।

उचित ग्रेड का उच्च गुणवत्ता वाला ऑयल और सटीक मात्रा में भरवाना ही सबसे प्रमुख है।

ऑयल की मात्रा बचाकर रखी गई सही शैली आपके इंजन को लंबी उम्र देगा, माइलेज बढ़ाएगा और मरम्मत खर्च को न्यूनतम करेगा।

 

अतः इंजन ऑयल बदलवाना एक साधारण प्रक्रिया होती है, लेकिन देरी महंगी साबित हो सकती है—तो “समय पर ऑयल बदलो, इंजन बचाओ”!

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