1 रुपये के सिक्के की बनाने की लागत कितनी? RBI के आंकड़ों ने उड़ाए होश!
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा डेटा में 1 रुपये के सिक्के की निर्माण लागत ने सभी को चौंका दिया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि 1 रुपये का सिक्का बनाने पर सरकार को 1 रुपये से भी ज्यादा खर्च करना पड़ता है। यानी इस सिक्के के उत्पादन में सरकार को घाटा हो रहा है।
1 रुपये के सिक्के की बनाने की लागत
RBI की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार:
1 रुपये के सिक्के की उत्पादन लागत: ₹1.11
सिक्के का वजन: 3.09 ग्राम
धातु का प्रकार: फेरिटिक स्टेनलेस स्टील (75% कॉपर, 25% निकल)
इसका मतलब है कि हर 1 रुपये के सिक्के पर सरकार को 11 पैसे का नुकसान हो रहा है।
क्यों इतनी ज्यादा है लागत?
- धातु की कीमतें बढ़ना: पिछले कुछ सालों में कॉपर और निकल की कीमतों में भारी उछाल आया है।
- निर्माण प्रक्रिया: सिक्के ढालने की प्रक्रिया में ऊर्जा, श्रम और ट्रांसपोर्टेशन लागत शामिल है।
- डिजाइन और सुरक्षा फीचर्स: नकली सिक्कों को रोकने के लिए सिक्कों में स्पेशल डिजाइन और मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे लागत बढ़ती है।
क्या अन्य सिक्कों की स्थिति भी ऐसी ही है?
₹2 का सिक्का: बनाने की लागत ₹1.28 (लगभग 36% घाटा)
₹5 का सिक्का: बनाने की लागत ₹3.54 (लगभग 29% घाटा)
₹10 का सिक्का: बनाने की लागत ₹5.54 (लगभग 45% घाटा)
सरकार क्यों जारी रख रही है सिक्के?
- डिजिटल पेमेंट्स की सीमाएं: देश के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में अभी भी सिक्कों की जरूरत है।
- छोटे लेन-देन में उपयोग: ऑटो, बस, चाय की दुकान जैसे छोटे लेन-देन में सिक्के अभी भी अहम हैं।
- करेंसी का संतुलन: नोटों के साथ-साथ सिक्कों का होना मुद्रा प्रणाली को संतुलित रखता है।
क्या भविष्य में सिक्के बंद हो जाएंगे?
RBI ने अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है।
हालांकि, **UPI और डिजिटल पेमेंट्स के बढ़ते चलन को देखते हुए भविष्य में सिक्कों की संख्या कम हो सकती है।
कुछ देशों (जैसे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया) ने छोटे मूल्यवर्ग के सिक्के बंद कर दिए हैं, लेकिन भारत में अभी ऐसा कोई प्लान नहीं है।
क्या है एक्सपर्ट्स की राय?
“सिक्कों का घाटा एक चिंता का विषय है, लेकिन यह करेंसी सिस्टम का एक जरूरी हिस्सा है। RBI को धातु की लागत कम करने के विकल्प तलाशने चाहिए।”
डॉ. अजय शाह, अर्थशास्त्री
निष्कर्ष
1 रुपये का सिक्का देश की अर्थव्यवस्था की एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण इकाई है। हालांकि इसके उत्पादन में घाटा हो रहा है, लेकिन यह अभी भी दैनिक जीवन का अहम हिस्सा है। भविष्य में RBI और सरकार को इसकी लागत कम करने के तरीके खोजने होंगे।
नोट: यह खबर सूचना के उद्देश्य से लिखी गई है। कृपया किसी निवेश या वित्तीय निर्णय से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।