सरकार 54,000 टन मूंग और 51,000 टन मूंगफली की खरीद करेगी
भारत सरकार ने किसानों को सहायता प्रदान करने और दलहन-तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी योजना की घोषणा की है। इसके तहत 54,000 टन मूंग (मूंग दाल) और 51,000 टन मूंगफली की सरकारी खरीद की जाएगी। यह योजना राष्ट्रीय कृषि विपणन समिति (NAFED) और भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से लागू की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य दिलाना और बाजार में आपूर्ति को स्थिर रखना है।
किन राज्यों के किसानों को मिलेगा लाभ?
सरकार ने इस योजना के लिए कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों को चुना है, जहां से मूंग और मूंगफली की खरीद की जाएगी:
- मूंग दाल (54,000 टन)
राजस्थान (मुख्य उत्पादक)
महाराष्ट्र
कर्नाटक
आंध्र प्रदेश
तेलंगाना
- मूंगफली (51,000 टन)
गुजरात (भारत का सबसे बड़ा मूंगफली उत्पादक राज्य)
राजस्थान
महाराष्ट्र
तमिलनाडु
इन राज्यों के लघु और सीमांत किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी, क्योंकि वे अक्सर बिचौलियों के चक्कर में कम दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होते हैं।
किसानों को कितनी कीमत मिलेगी?
सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आधार पर खरीद की घोषणा की है:
मूंग दाल: ₹7,275 प्रति क्विंटल (MSP 2024-25 के अनुसार)
मूंगफली: ₹6,377 प्रति क्विंटल
इसके अलावा, किसानों को बोनस भी दिया जा सकता है, अगर बाजार मूल्य MSP से अधिक होता है।
खरीद प्रक्रिया कैसे होगी?
पंजीकरण: किसानों को अपने नजदीकी कृषि विपणन यार्ड (APMC) या e-NAM पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा।
गुणवत्ता जांच: फसल की गुणवत्ता (नमी, शुद्धता) जांची जाएगी।
भुगतान: MSP के अनुसार किसानों के बैंक खाते में 3 दिनों के भीतर पैसे ट्रांसफर किए जाएंगे।
इस योजना का क्या लाभ होगा?
किसानों को MSP की गारंटी: बाजार में दाम गिरने पर भी किसानों को नुकसान नहीं होगा।
बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी: सीधे सरकारी खरीद से किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे।
देश में दलहन-तिलहन उत्पादन बढ़ेगा: इससे आयात निर्भरता घटेगी।
खुदरा बाजार में दाम स्थिर होंगे: अधिक उत्पादन से दालों और तेलों की कीमतें नियंत्रित रहेंगी।
आलोचनाएं और चुनौतियां
कुछ किसान संगठनों का कहना है कि MSP पर खरीद सीमित मात्रा में होती है, जिससे सभी किसानों को लाभ नहीं मिल पाता।
भ्रष्टाचार और गुणवत्ता जांच में पारदर्शिता की कमी की शिकायतें भी सामने आई हैं।
छोटे किसानों तक जागरूकता की कमी के कारण योजना का लाभ नहीं पहुंच पाता।
निष्कर्ष
सरकार की यह योजना दलहन और तिलहन किसानों के लिए एक सकारात्मक कदम है। अगर इसे पारदर्शिता और कुशलता से लागू किया जाता है, तो इससे कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और किसानों की आय बढ़ेगी। हालांकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि खरीद प्रक्रिया में छोटे किसानों को प्राथमिकता मिले और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे।