वैश्विक सोने की मांग में 30 सालों की सबसे बड़ी वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की दूसरी तिमाही में वैश्विक सोने की मांग पिछले 30 सालों में सबसे अधिक रही है। यह वृद्धि पिछले छह सालों की तुलना में सबसे ज्यादा है, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और भूराजनीतिक तनावों का परिणाम है। इस दौरान, कई केंद्रीय बैंकों ने अपने सोने के भंडार को बढ़ाया, जिसमें चीन, टर्की, भारत, और पोलैंड जैसे देश शामिल हैं। वैश्विक मांग में यह उछाल सोने की कीमतों में भी 10% की वृद्धि के साथ दिखाई दी, जो 1993 के बाद सबसे बड़ी तिमाही वृद्धि है। यह वृद्धि निवेशकों और केंद्रीय बैंकों की सोने के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाती है।
चीन का योगदान और वैश्विक प्रभाव
चीन, जो वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा सोना खरीदार है, ने अपनी मांग को और बढ़ाया है। 2000 में चीन के पास 395 टन सोना था, जो 2025 तक 2,280 टन हो गया है। इस दौरान, चीन ने अपने भंडार में 16% की वृद्धि की है, जिससे उसका योगदान वैश्विक मांग में सबसे अधिक रहा। चीन की यह रणनीति अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने और अपनी अर्थव्यवस्था को सुरक्षित करने की दिशा में एक कदम है। इसके अलावा, टर्की (3,351.53 टन), इटली (2,451.84 टन), और फ्रांस (2,437 टन) जैसे देशों ने भी अपने भंडार को बढ़ाने में योगदान दिया। भारत, जहां सोना सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, ने अपने भंडार को 876.18 टन तक पहुंचाया।
मांग बढ़ने के प्रमुख कारण
सोने की मांग में यह वृद्धि कई कारकों से प्रेरित है। पहला, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं, जैसे अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और मुद्रास्फीति का दबाव, निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित कर रहे हैं। दूसरा, भूराजनीतिक तनावों ने सोने को एक सुरक्षित निवेश के रूप में स्थापित किया है। तीसरा, केंद्रीय बैंकों की रणनीति में बदलाव, जैसे पोलैंड का अपने भंडार को 5,000 टन तक बढ़ाने का लक्ष्य, मांग को और बढ़ा रहा है। इसके अलावा, भारत और चीन जैसे देशों में त्योहारों और शादियों के मौसम ने भी मांग को प्रोत्साहित किया है।
आर्थिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
सोने की मांग में यह वृद्धि वैश्विक बाजारों पर गहरा प्रभाव डाल रही है। कीमतों में 10% की वृद्धि ने निवेशकों के लिए सोने को और आकर्षक बनाया है। हालांकि, यह वृद्धि सोने की आपूर्ति पर दबाव डाल सकती है, क्योंकि खनन उत्पादन सीमित है। भविष्य में, विशेषज्ञों का अनुमान है कि सोने की मांग और कीमतें और बढ़ सकती हैं, खासकर अगर वैश्विक अनिश्चितताएं बनी रहती हैं। भारत जैसे देशों में, जहां सोना एक सांस्कृतिक प्रतीक है, मांग में और इजाफा होने की संभावना है।
निष्कर्ष
वैश्विक सोने की मांग में 30 सालों की सबसे बड़ी वृद्धि एक महत्वपूर्ण आर्थिक घटना है। चीन, भारत, और पोलैंड जैसे देशों की सक्रियता ने इस मांग को बढ़ाया है, जो वैश्विक अनिश्चितताओं और भूराजनीतिक तनावों का परिणाम है। यह वृद्धि सोने की कीमतों में भी उछाल लाई है, जो निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है। भविष्य में, सोने की मांग और कीमतों में और वृद्धि की संभावना है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण निवेश विकल्प बना रहेगा।