फैक्ट चेक: शक्तिकांत दास के नाम से वायरल फर्जी वीडियो पर PIB ने दी चेतावनी, कोई निवेश योजना नहीं
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव-2 और पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के नाम से एक फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दावा किया गया है कि दास ने केंद्र सरकार द्वारा समर्थित एक नई निवेश योजना की घोषणा की है, जो निवेशकों को कम समय में उच्च रिटर्न का वादा करती है। हालांकि, प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक यूनिट ने इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे फर्जी और भ्रामक करार दिया है। PIB ने स्पष्ट किया है कि शक्तिकांत दास ने ऐसी कोई निवेश योजना की घोषणा नहीं की है, और यह वीडियो डिजिटल रूप से हेरफेर किया गया है। लोगों से अपील की गई है कि वे इस तरह की फर्जी खबरों पर विश्वास न करें और ऐसी योजनाओं में निवेश करने से पहले आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करें।
PIB की फैक्ट चेक यूनिट ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो में शक्तिकांत दास की आवाज और छवि को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और वॉयस क्लोनिंग तकनीकों का उपयोग करके हेरफेर किया गया है। यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, और यूट्यूब पर तेजी से फैल रहा था, जिसमें दावा किया गया कि यह निवेश योजना सरकार द्वारा प्रायोजित है और इसमें निवेश करने से भारी मुनाफा होगा। PIB ने लोगों को चेतावनी दी है कि ऐसी योजनाएं अक्सर साइबर अपराधियों द्वारा बनाई जाती हैं, जो व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी चुराने के लिए भ्रामक लिंक और फर्जी वेबसाइट्स का उपयोग करते हैं।
यह पहला मामला नहीं है जब साइबर अपराधियों ने प्रमुख हस्तियों के नाम का दुरुपयोग करके फर्जी निवेश योजनाओं को बढ़ावा दिया हो। इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम से भी एक फर्जी वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने एक नई निवेश योजना शुरू की है। PIB ने उस वीडियो को भी खारिज करते हुए बताया कि यह वॉयस क्लोनिंग और डीपफेक तकनीक का उपयोग करके बनाया गया था। जांच में पाया गया कि वीडियो में सीतारमण की मूल प्रेस कॉन्फ्रेंस की क्लिप को हेरफेर किया गया था, जिसमें उन्होंने ऐसी कोई योजना का जिक्र नहीं किया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि AI और डीपफेक तकनीकों का दुरुपयोग हाल के वर्षों में बढ़ा है, जिससे भ्रामक सूचनाओं का प्रसार तेजी से हो रहा है। साइबर पीस फाउंडेशन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि ऐसी फर्जी योजनाएं लोगों को लुभाने के लिए जानी-मानी हस्तियों के नाम और छवि का उपयोग करती हैं, ताकि विश्वसनीयता का भ्रम पैदा किया जा सके। इन स्कैम्स में अक्सर लोगों को फर्जी वेबसाइट्स पर व्यक्तिगत जानकारी, जैसे बैंक खाता विवरण या आधार नंबर, देने के लिए प्रेरित किया जाता है।
PIB ने पहले भी कई फर्जी खबरों को उजागर किया है। उदाहरण के लिए, पिछले साल एक यूट्यूब चैनल ‘अखंडन्यूज123’ पर फर्जी खबरें प्रसारित की गई थीं, जिनमें दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके पद से हटा दिया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। PIB ने इन दावों को खारिज करते हुए चैनल के 15,000 से अधिक सब्सक्राइबर्स और 19 लाख व्यूज के बावजूद इसे फर्जी घोषित किया। इसी तरह, एक अन्य फर्जी संदेश में दावा किया गया था कि आधार कार्ड धारकों को पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत मुफ्त सिलाई मशीनें दी जा रही हैं, जिसे भी PIB ने खारिज किया।
भारत में डिजिटल मंचों पर फर्जी खबरों का मुकाबला करने के लिए कई पहल की जा रही हैं। शक्ति: इंडिया फैक्ट-चेकिंग कलेक्टिव, जिसमें 100 से अधिक समाचार प्रकाशक और फैक्ट-चेकर शामिल हैं, ने हाल के चुनावों के दौरान गलत सूचनाओं और डीपफेक को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह संगठन स्थानीय भाषाओं में फैक्ट-चेक को बढ़ावा देता है, ताकि अधिक से अधिक लोग सही जानकारी तक पहुंच सकें। विशेषज्ञों का सुझाव है कि लोगों को किसी भी निवेश योजना में शामिल होने से पहले सरकारी वेबसाइट्स जैसे pib.gov.in या संबंधित मंत्रालयों की आधिकारिक वेबसाइट्स पर जानकारी की पुष्टि करनी चाहिए।
लोगों से अपील की गई है कि वे सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली ऐसी खबरों पर आंख मूंदकर भरोसा न करें और अपनी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतें। शक्तिकांत दास और अन्य प्रमुख हस्तियों के नाम से फैलाए जा रहे इस तरह के फर्जी वीडियो न केवल व्यक्तिगत नुकसान का कारण बन सकते हैं, बल्कि समाज में भ्रम और अविश्वास भी पैदा करते हैं।