देश की दुर्लभ पृथ्वी चुंबक (rare earth magnets) निर्माण में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला रही है
Midwest Advanced Materials (MAM) देश की दुर्लभ‑पृथ्वी चुंबक (rare earth magnets) निर्माण में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला रही है। 30 मई 2024 में DST के Technology Development Board (TDB) ने मिडवेस्ट को ₹1,000‑1,500 करोड़ तक के निवेश एवं स्टिमुलस के साथ समर्थित किया जिससे यह कंपनी भारत की पहली घरेलू NdFeB (Neodymium‑Iron‑Boron) चुंबक निर्माता बनने की दिशा में अग्रसर है ।
परियोजना का प्रारंभ और तकनीकी आधार
500 टन/वर्ष क्षमता – हैदराबाद के प्लांट से दिसंबर 2025 तक प्रारंभिक उत्पादन शुरू होने की योजना, जिसमें NdFeB चुंबक के रूप में 500 टन की उत्पादन क्षमता होगी ।
Molten Salt Electrolysis तकनीक – NFTDC द्वारा विकसित MSE प्रक्रिया और Proprietary Electrolysis Cell से ऑक्साइड से Finished Magnet तक एकीकृत उत्पादन संभव होगा ।
आपूर्ति श्रृंखला – India Rare Earths Ltd (IREL) से रॉ मटीरियल (Rare Earth Oxides) का इंक्रीमेंट सपोर्ट सुनिश्चित, जिससे ओपरेशनल खर्च नियंत्रित होंगे ।
विस्तार और भविष्य के लक्ष्य
1,000 करोड़ अतिरिक्त निवेश – अगले तीन वर्षों में क्षमता 5,000 टन/वर्ष तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, जिस पर मिडवेस्ट ने निवेश की तैयारी की है ।
2030 तक लक्ष्य – परियोजना का 2030 तक 5,000 TPA तक विस्तार देश में उच्च‑अंत की चुंबक आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता देगा ।
भू‑राजनीतिक और आर्थिक संदर्भ
चीनी निर्भरता से मुक्ति – चीन अभी वैश्विक Rare‑Earth Magnets के 90 % संसाधन और निर्माण पर हावी है। हाल ही में उसके निर्यात प्रतिबंधों ने भारत समेत अन्य देशों को अपनी घरेलू क्षमता बढ़ाने को प्रेरित किया ।
सरकार की रणनीति – केंद्र सरकार ₹1,500 करोड़ के प्रोत्साहन पैकेज पर विचार कर रही है, ताकि चुंबक उत्पादन पर आत्मनिर्भरता बढ़े और लागत में सामर्थ्य बने ।
EV और रक्षा क्षेत्र में उपयोग – इन चुंबकों का मुख्य उपयोग EV मोटर्स, पवन जनरेटर, मेडिकल इमेजिंग में है इसलिए यह परियोजना साफ‑गार ऊर्जा और रक्षा प्रौद्योगिकी के लिए भी अहम है ।
क्यों है यह खबर महत्वपूर्ण?
- स्वदेशी निर्माण की शुरुआत: प्रथम चरण में 500 टन/वर्ष, फिर विस्तृत योजना के तहत 5,000 टन/वर्ष तक पहुंचकर आत्मनिर्भरता सफल होगी।
- लगातार मजबूत निवेश: ₹1,500 करोड़ के सरकारी प्रोत्साहन और मिडवेस्ट प्लान के ₹1,000 करोड़ निवेश से संसाधन मजबूत होंगे।
- रणनीतिक सुरक्षा और वैश्विक बाजार अवसर: चीन पर निर्भरता से निकलकर भारत वैश्विक चुंबक बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है—खासकर EV, रक्षा और वॉइसे तकनीकों में।
- प्रौद्योगिकी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा: Molten Salt Electrolysis तकनीक के माध्यम से उत्पादन खर्च बचाने का मार्ग, साथ ही NFTDC तकनीकी हस्तांतरण से R\&D में बढ़ोतरी।
समग्र निष्कर्ष
Midwest Advanced Materials का यह कदम भारत की Rare Earth Magnets उत्पादन की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। दिसंबर 2025 तक उत्पादन शुरू होकर, अगले 5 वर्षों में 5,000 टन तक विस्तार इस क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाएगा। नई तकनीक, सरकारी सहयोग और निवेश योजनाएं भारतीय उद्योग के लिए वैश्विक मुकाम की नींव रख रही हैं जो अगली पीढ़ी के EV, रक्षा, और नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी उच्च तकनीकी संभावनाओं को साकार करेंगी।