टाटा स्टील 2027 तक यूके में इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस यूनिट शुरू करेगा
टाटा स्टील ने ब्रिटेन में अपने स्टील प्लांट को और अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह 2027 तक यूनाइटेड किंगडम (यूके) में एक इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (EAF) यूनिट कमीशन करेगी। इस परियोजना पर लगभग 500 मिलियन पाउंड (करीब 5,000 करोड़ रुपये) का निवेश किया जाएगा। यह निर्णय टाटा स्टील के 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य के अनुरूप है।
परियोजना की मुख्य बातें
लोकेशन: यह नया EAF प्लांट टाटा स्टील के पोर्ट टैलबोट स्टीलवर्क्स (वेल्स, यूके) में स्थापित किया जाएगा।
क्षमता: शुरुआत में इसकी उत्पादन क्षमता 3 मिलियन टन स्टील प्रति वर्ष होगी।
निवेश: यूके सरकार भी इस परियोजना में 500 मिलियन पाउंड की सहायता करेगी।
रोजगार: इससे यूके में 1,000 से अधिक नौकरियों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
परंपरागत ब्लास्ट फर्नेस की जगह EAF तकनीक
वर्तमान में, टाटा स्टील का यूके ऑपरेशन कोयला आधारित ब्लास्ट फर्नेस पर निर्भर है, जो अधिक कार्बन उत्सर्जन करता है। नई EAF तकनीक में बिजली का उपयोग कर पुराने स्टील (स्क्रैप) को पिघलाकर नया स्टील बनाया जाएगा, जिससे:
CO2 उत्सर्जन में 50% तक की कमी आएगी।
ऊर्जा खपत कम होगी।
पारंपरिक तरीकों की तुलना में यह प्रक्रिया अधिक टिकाऊ है।
टाटा स्टील का दीर्घकालिक लक्ष्य
टाटा स्टील के CEO और MD टी.वी. नरेंद्रन ने कहा, *”यह परियोजना हमारे 2030 के सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हम यूके और भारत दोनों जगह हरित स्टील उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं।” कंपनी का लक्ष्य 2045 तक कार्बन न्यूट्रल बनना है।
यूके सरकार का समर्थन
ब्रिटिश प्रधान मंत्री ने इस परियोजना का स्वागत करते हुए कहा कि यह “यूके की हरित औद्योगिक क्रांति और स्टील सेक्टर के भविष्य के लिए एक मील का पत्थर है।” यूके सरकार ने टाटा स्टील को 500 मिलियन पाउंड की सब्सिडी देने का वादा किया है, जिससे देश में हरित ऊर्जा संक्रमण को गति मिलेगी।
भारत में भी हरित स्टील पर जोर
टाटा स्टील ने ओडिशा में भी 5 MTPA क्षमता वाला एक इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है। कंपनी का लक्ष्य भारत में 2030 तक CO2 उत्सर्जन को 2 टन प्रति टन स्टील से घटाकर 1.8 टन करना है।
विश्लेषकों की राय
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम टाटा स्टील को यूरोपीय हरित नियमों (CBAM) के अनुरूप ढालने में मदद करेगा। जेपी मॉर्गन के एक रिपोर्ट के अनुसार, *”EAF तकनीक में बदलाव से टाटा स्टील की दीर्घकालिक लागत घटेगी और यह यूरोपीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रख पाएगा।”
निष्कर्ष
टाटा स्टील का यह निर्णय वैश्विक स्टील उद्योग में हरित ऊर्जा की ओर बढ़ते रुझान को दर्शाता है। 2027 तक EAF यूनिट के कमीशन होने से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि यूके में रोजगार सृजन और टाटा स्टील की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़ेगी। इस परियोजना की सफलता भारत सहित अन्य देशों के लिए एक उदाहरण बन सकती है।