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आईटीसी लिमिटेड के शेयरधारिता संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव

हाल ही में आईटीसी लिमिटेड के शेयरधारिता संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको (BAT) ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी का एक हिस्सा बेच दिया है, जबकि अमेरिकी निवेश फर्म GQG पार्टनर्स ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। इन घटनाओं ने निवेशकों और बाजार विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित किया है।

 

BAT का हिस्सेदारी में कमी

ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको, जो आईटीसी का सबसे बड़ा शेयरधारक है, ने मई 2025 में कंपनी में अपनी 2.5% हिस्सेदारी बेच दी है। इस ब्लॉक डील के माध्यम से BAT ने लगभग ₹12,941 करोड़ ($1.42 बिलियन) जुटाए हैं। इस बिक्री के बाद, BAT की आईटीसी में हिस्सेदारी 25.4% से घटकर 22.9% रह गई है। इस कदम का उद्देश्य BAT के शेयर बायबैक कार्यक्रम को बढ़ावा देना है, जिसे अब £1.1 बिलियन तक बढ़ा दिया गया है ।

GQG पार्टनर्स की हिस्सेदारी में वृद्धि

BAT की हिस्सेदारी में कमी के तुरंत बाद, अमेरिकी निवेश फर्म GQG पार्टनर्स ने आईटीसी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 5.47% कर दी है। यह वृद्धि 28 मई 2025 को एक ब्लॉक डील के माध्यम से की गई, जिसमें GQG ने अतिरिक्त 0.51% हिस्सेदारी खरीदी। इससे पहले, GQG की हिस्सेदारी 4.96% थी । GQG के इस कदम को आईटीसी में दीर्घकालिक निवेश के रूप में देखा जा रहा है, जो कंपनी के भविष्य में विश्वास को दर्शाता है।

 

शेयर बाजार पर प्रभाव

BAT की हिस्सेदारी बिक्री की खबर के बाद, आईटीसी के शेयरों में 5% से अधिक की गिरावट देखी गई। निवेशकों को चिंता थी कि इतनी बड़ी मात्रा में शेयरों की बिक्री से बाजार में दबाव बढ़ेगा। हालांकि, GQG जैसे संस्थागत निवेशकों की भागीदारी ने बाजार को स्थिर करने में मदद की है। विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की हिस्सेदारी में बदलाव से कंपनी की शेयरधारिता संरचना में विविधता आएगी, जो दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक हो सकती है।

 

विदेशी निवेशकों का भारत में विश्वास

मई 2025 में भारत में ब्लॉक डील्स के माध्यम से $5.5 बिलियन का विदेशी निवेश हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है। इसमें BAT की आईटीसी में हिस्सेदारी बिक्री, IndiGo के सह-संस्थापक राकेश गंगवाल की हिस्सेदारी बिक्री, और Bharti Airtel में Singtel की हिस्सेदारी बिक्री शामिल हैं । इन निवेशों से स्पष्ट है कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में दीर्घकालिक संभावनाएं देख रहे हैं।

निष्कर्ष

आईटीसी में BAT की हिस्सेदारी में कमी और GQG पार्टनर्स की हिस्सेदारी में वृद्धि से कंपनी की शेयरधारिता संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। हालांकि, इन परिवर्तनों से बाजार में अस्थिरता देखी गई, लेकिन दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। विदेशी निवेशकों का भारत में बढ़ता विश्वास और आईटीसी जैसी कंपनियों में उनकी भागीदारी से भारतीय बाजार की स्थिरता और विकास की संभावनाएं उजागर होती हैं।

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