भारत में आम की कीमतों में भारी गिरावट
भारत में इस साल आम की बंपर पैदावार ने बाजार में कीमतों को तेजी से गिरा दिया है। कई राज्यों में आम अब 40 रुपये प्रति किलो तक बिक रहे हैं, जो पिछले सालों के मुकाबले काफी कम है। यह गिरावट मुख्य रूप से रिकॉर्ड उत्पादन और मांग में कमी के कारण देखी जा रही है।
क्यों गिर रही हैं आम की कीमतें?
बंपर पैदावार:
इस साल मौसम की अनुकूल परिस्थितियों के कारण आम की फसल अच्छी हुई है।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में पैदावार 20-30% तक बढ़ी है।
किसानों का कहना है कि इस साल फूल अधिक आए, जिससे फलन भी ज्यादा हुआ।
निर्यात में कमी:
पिछले साल की तुलना में इस साल विदेशों में आम की मांग कम हुई है।
मध्य पूर्व और यूरोपीय देशों में आर्थिक मंदी के कारण निर्यात प्रभावित हुआ है।
स्थानीय बाजार में आपूर्ति अधिक, मांग कम:
बड़े शहरों में आम की आवक बढ़ने से दाम गिरे हैं।
कुछ क्षेत्रों में बारिश के कारण आम की गुणवत्ता प्रभावित हुई, जिससे खरीदारी कम हुई।
किसानों और व्यापारियों पर प्रभाव
किसानों को नुकसान:
जहां पिछले साल आम 80-100 रुपये प्रति किलो बिक रहे थे, वहीं इस साल 40-60 रुपये में ही बिक्री हो रही है।
लागत (खाद, पानी, मजदूरी) बढ़ने के बावजूद कम दाम मिलने से किसानों को मुनाफा नहीं हो पा रहा।
व्यापारियों को फायदा:
थोक बाजार में सस्ते दामों पर आम खरीदकर व्यापारी रिटेल में अच्छा मार्जिन कमा रहे हैं।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स (जैसे BigBasket, Zepto) पर भी आम सस्ते दरों पर उपलब्ध हैं।
भविष्य की संभावनाएं
अगले कुछ हफ्तों में तापमान बढ़ने के साथ आम की मांग बढ़ सकती है।
सरकार द्वारा किसानों को MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) जैसी सुविधा देने की मांग उठ रही है।
प्रसंस्करण उद्योग (जैसे जूस, पल्प एक्सपोर्ट) को बढ़ावा देकर अतिरिक्त उत्पादन का उपयोग किया जा सकता है।
निष्कर्ष
इस साल आम की रिकॉर्ड पैदावार ने उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर दी है, लेकिन किसानों के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है। सरकार और कृषि विशेषज्ञों को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके और बाजार स्थिर रहे।