भारत में गैर‑जीवन बीमा प्रीमियम दोगुने दायरे में बढ़ा है।
स्विट्ज़रलैंड की “Swiss Re Institute” की रिपोर्ट के अनुसार, 2025–26 में भारत में गैर‑जीवन बीमा प्रीमियम 8.8% वार्षिक दर से बढ़ेंगे, जबकि वैश्विक औसत सिर्फ 4.1% है। इससे भारत का बीमा महंगाई विश्व स्तर से लगभग दोगुनी होगी ।
चीन में यह वृद्धि 4.1%, अमेरिका में 1.8%, ऑस्ट्रेलिया में 4.2%, जापान में 0.5% अनुमानित रही—जबकि भारत का न Humble 8.8% है ।
क्यों हो रहा इतना तेज़ी से इजाफा?
रिपोर्ट से निम्न प्रमुख कारण सामने आते हैं :
दावा लागत में वृद्धि: मेडिकल खर्च, ऑटो रिपेयर और घर/व्यवसाय संबंधी क्षति की लागत लगातार बढ़ी है।
रीइंश्योरेंस की महंगाई: वैश्विक पुनर्बीमा बाजार में टैरिफ बढ़ा है, जिससे बीमा कंपनियों की लागत बढ़ी।
मुनाफ़ा बनाए रखने की रणनीति: कंपनियां वित्तीय स्थिरता के लिए दरें बढ़ा रही हैं।
सरकारी प्रतिक्रिया और शिकायतें
सरकार ने भी प्रीमियम वृद्धि की आलोचना की है—विशेषकर स्वास्थ्य बीमा कंपनियों पर मनमाना मूल्य निर्धारण का आरोप लगाया गया है ।
IRDAI को आदेश दिए गए हैं कि वह:
शहर-विशिष्ट प्रीमियम न लगाएँ — जैसे महानगरों में सस्ता इलाज करने वाले इलाक़ों में भी उसी प्रीमियम को लागू करना।
बिना दावा करने वालों पर ज़रूरत से अधिक करने की जांच — जिन्हें पिछले वर्षों में दावे नहीं किए, उनपर भी 20‑30% तक बढ़त दी गई।
सरकार ने कहा है कि गैर‑जीवन बीमा कंपनियों द्वारा ग्राहकों को उन पर थोपे जा रहे इन प्रीमियमों की समीक्षा IRDAI जरूर करें।
कार बीमा का ट्रेंड
IRDAI ने सुझाव दिया है कि थर्ड पार्टी कार बीमा प्रीमियम 18% से 25% तक बढ़ाया जाए, कवर क्लेम बढ़ने के कारण कंपनियाँ घाटे में थीं ।
हालाँकि इस कदम से वाहन मालिकों पर नया वित्तीय दबाव आएगा, लेकिन संबद्ध कंपनियों का कहना है कि लगातार क्लेम की वजह से दर बढ़ाना मजबूरी बन गया।
ग्राहकों की नाराज़गी
बीमा धारक कई प्रकार की शिकायतें दर्ज करा रहे हैं :
छोटे शहरों में इलाज सस्ता होने के बावजूद वहाँ भी महानगरीय स्तर के प्रीमियम लिए जा रहे हैं।
जो ग्राहक लंबे समय से अप्रति दावों के साथ रहे हैं, उनपर भी 20–30% तक अतिरिक्त शुल्क लगाया गया।
कुछ प्राइवेट कंपनियों ने बीमा लेने के बाद नई बीमारियों पर कवर की सीमा लगा दी, जबकि सरकारी कंपनियाँ क्लेम पूरा मंजूर कर रही आम ग्राहकों को 100% क्लेम मिल रहा है।
वैश्विक तुलना: भारत कहां खड़ा है?
रिपोर्ट में 10 देशों का तुलनात्मक अध्ययन है। भारत में पिछले वर्षों (2019–23) में प्रीमियम वृद्धि चार प्रतिशत सीएजीआर से हुई, वैश्विक स्तर पर औसत 3.7% रहा ।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2024 में भारत 6.8% तक, और 2025 में 8.0%, 2026 में 9.3% तक पहुंचने की भविष्यवाणी करती है—जो 4–5% वैश्विक औसत से कहीं ऊपर है ।
भारत अन्य देशों की तुलना में कहीं तेज़
कर्चर 2025–26 पूर्वानुमानों के अनुसार:
भारत – 8.8%
एशिया औसत – 7.4%
चीन – 4.1%
जाहिर है, भारतीय बीमा बाजार में बढ़ोतरी की गति क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर से तेज़ है।
आगामी कल का परिदृश्य
पॉइंटर्स:
IRDAI की भूमिका – कंपनियों पर नियंत्रण और ग्राहकों को राहत देने के उपाय अपनाना।
कॉस्ट कंट्रोल – क्लेम लागत और संचालन खर्च को काबू करना।
वित्तीय साक्षरता – ग्राहकों को प्रीमियम संरचना और क्लेम नियमों की जानकारी देना।
नवाचार – छोटे शहरों और डिजिटल माध्यमों के ज़रिए सस्ती योजनाएँ लॉन्च करना।
निष्कर्ष
भारत में गैर‑जीवन बीमा प्रीमियम वृद्धि तेज, लगभग विश्व औसत से दोगुनी है।
कंपनियों द्वारा लागत बढ़ने का हवाला देकर दरवृद्धि, लेकिन सरकार और ग्राहक इसकी स्वतः आलोचना कर रहे हैं।
IRDAI द्वारा नियंत्रण और मूल्य संतुलन की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
यदि सुधारात्मक नीति न बनी, तो आम लोगों का भरोसा टूट सकता है—और बीमा कवरेज का उद्देश्य प्रभावित हो सकता है।