इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने से पहले टीडीएस के बारे में जानें सबकुछ, बचें गलतियों से
इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही करदाताओं के लिए टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) को समझना बेहद जरूरी हो जाता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 है, और इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए टीडीएस से जुड़ी जानकारी महत्वपूर्ण है। टीडीएस, इनकम टैक्स का एक हिस्सा है, जो आय के स्रोत पर ही काट लिया जाता है। यह सरकार के लिए कर संग्रह का एक प्रभावी तरीका है, जो कर चोरी को रोकने और आय का हिसाब रखने में मदद करता है। आइए जानते हैं टीडीएस से जुड़ी सभी जरूरी बातें।
टीडीएस का मतलब है कि जब कोई व्यक्ति या संस्था (डिडक्टर) आपको भुगतान करती है, जैसे कि वेतन, किराया, ब्याज, कमीशन या पेशेवर शुल्क, तो वह भुगतान का एक हिस्सा टैक्स के रूप में काटकर सरकार के पास जमा करती है। उदाहरण के लिए, यदि आपकी कंपनी आपको 50,000 रुपये मासिक वेतन देती है और उस पर 10% टीडीएस लागू होता है, तो 5,000 रुपये काटकर 45,000 रुपये आपको मिलेंगे। यह काटा गया टीडीएस आपके पैन कार्ड के आधार पर आपके फॉर्म 26एएस में दर्ज होता है। यह फॉर्म आपकी कुल आय और उस पर काटे गए टैक्स का ब्यौरा देता है, जो आईटीआर दाखिल करते समय जरूरी है।
टीडीएस विभिन्न प्रकार की आय पर लागू होता है, जैसे वेतन (सेक्शन 192), बैंक ब्याज (सेक्शन 194ए), किराया (सेक्शन 194आई), और पेशेवर सेवाओं (सेक्शन 194जे)। प्रत्येक प्रकार की आय के लिए टीडीएस की दरें इनकम टैक्स एक्ट में निर्धारित हैं। उदाहरण के लिए, बैंक ब्याज पर 10% टीडीएस काटा जाता है, लेकिन अगर आपका पैन कार्ड उपलब्ध नहीं है, तो यह दर 20% हो सकती है। यदि आपकी कुल आय कर योग्य सीमा से कम है, तो आप फॉर्म 15जी (वरिष्ठ नागरिकों के लिए फॉर्म 15एच) जमा करके टीडीएस कटौती से छूट पा सकते हैं। इससे बैंक या अन्य संस्थाएँ आपके ब्याज पर टीडीएस नहीं काटेंगी।
टीडीएस रिटर्न दाखिल करना डिडक्टर की जिम्मेदारी है, जो तिमाही आधार पर किया जाता है। यह रिटर्न फॉर्म 24क्यू (वेतन), 26क्यू (अन्य भुगतान), या 27क्यू (गैर-निवासियों के लिए) के माध्यम से जमा किया जाता है। डिडक्टर को टीडीएस काटने के बाद अगले महीने की 7 तारीख तक इसे सरकार के पास जमा करना होता है, सिवाय मार्च के लिए, जिसके लिए तारीख 31 मई है। अगर टीडीएस समय पर जमा या रिटर्न दाखिल नहीं किया जाता, तो सेक्शन 234ई के तहत 200 रुपये प्रतिदिन का जुर्माना और सेक्शन 271एच के तहत अतिरिक्त दंड लग सकता है।
आईटीआर दाखिल करते समय, फॉर्म 16 (वेतन के लिए) और फॉर्म 16ए (अन्य आय के लिए) महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। ये टीडीएस सर्टिफिकेट आपके नियोक्ता या डिडक्टर द्वारा जारी किए जाते हैं और इनमें काटे गए टैक्स का विवरण होता है। फॉर्म 26एएस के साथ इनका मिलान करना जरूरी है ताकि कोई त्रुटि न हो। अगर आपकी आय कर योग्य सीमा से कम है और टीडीएस काटा गया है, तो आप आईटीआर दाखिल करके रिफंड का दावा कर सकते हैं।
करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे सही आईटीआर फॉर्म चुनें, जैसे कि आईटीआर-1 (50 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए) या आईटीआर-2 (कैपिटल गेन या अन्य स्रोतों से आय के लिए)। गलत फॉर्म चुनने से रिटर्न रद्द हो सकता है। इसके अलावा, पैन और आधार को लिंक करना अनिवार्य है। टीडीएस से जुड़ी गलतियों से बचने के लिए, इनकम टैक्स पोर्टल पर अपनी जानकारी नियमित रूप से जांचें और समय पर रिटर्न दाखिल करें।