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भारत सरकार का सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा: अब छोटे भूखंडों पर भी लगेंगी फैक्ट्रियां

भारत सरकार ने 5 जून 2025 को सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण नीति की घोषणा की, जिसके तहत अब कंपनियां छोटे भूखंडों पर भी सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियां स्थापित कर सकेंगी। यह कदम भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में एक मजबूत केंद्र बनाने की दिशा में उठाया गया है। इस नीति से न केवल बड़े निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, बल्कि छोटे और मध्यम स्तर की कंपनियों के लिए भी सेमीकंडक्टर क्षेत्र में प्रवेश आसान होगा। यह घोषणा इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत की गई है, जिसे 2021 में 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। नई नीति वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की स्थिति को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और नई नीति

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) का उद्देश्य भारत में सेमीकंडक्टर डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग और अनुसंधान को बढ़ावा देना है। 2024 में केंद्र सरकार ने इस मिशन को और मजबूत करते हुए छोटे भूखंडों पर सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने की छूट दी। पहले, सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियों के लिए बड़े भूखंडों की आवश्यकता होती थी, जिसके कारण कई कंपनियां निवेश करने में हिचकिचाती थीं। नई नीति के तहत, अब छोटे प्लॉट्स पर भी अत्याधुनिक फैक्ट्रियां लगाई जा सकेंगी, जिससे भूमि अधिग्रहण की लागत और समय में कमी आएगी। यह नीति विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) के लिए फायदेमंद होगी, जो अब इस उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रवेश कर सकेंगे।

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की स्थिति

वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में ताइवान और चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण कई कंपनियां भारत को एक वैकल्पिक विनिर्माण केंद्र के रूप में देख रही हैं। भारत का विशाल घरेलू बाजार, जिसमें स्मार्टफोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन और 5G उपकरणों की मांग तेजी से बढ़ रही है, इसे एक आकर्षक गंतव्य बनाता है। 2023 में भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 45 अरब डॉलर का था, जो 2030 तक 13% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ 100 अरब डॉलर को पार करने की उम्मीद है। नई नीति से भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में 8-10% हिस्सेदारी हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

प्रमुख परियोजनाएं और निवेश

इस नीति के तहत कई बड़ी परियोजनाओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। वेदांता-फॉक्सकॉन जॉइंट वेंचर ने गुजरात में 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ एक सेमीकंडक्टर फैब प्लांट प्रस्तावित किया है। माइक्रॉन टेक्नोलॉजी गुजरात के सानंद में 22,000 करोड़ रुपये का चिप असेंबली और टेस्टिंग प्लांट स्थापित कर रही है, जो 2025 की पहली छमाही में उत्पादन शुरू करेगा। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने तमिलनाडु और कर्नाटक में चिप टेस्टिंग और असेंबली सुविधाएं शुरू करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के जेवर में HCL और फॉक्सकॉन के संयुक्त उपक्रम से 3,706 करोड़ रुपये की लागत से एक सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित की जा रही है, जो डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का उत्पादन करेगी।

चुनौतियां और समाधान

हालांकि यह नीति सराहनीय है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग एक जटिल और पूंजी-गहन प्रक्रिया है, जिसके लिए उन्नत तकनीक, कुशल कार्यबल और स्थिर आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता है। भारत में अभी भी कुशल इंजीनियरों और तकनीशियनों की कमी है, जिसे दूर करने के लिए सरकार और उद्योग को मिलकर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने होंगे। इसके अलावा, कच्चे माल और उपकरणों की आपूर्ति के लिए वैश्विक साझेदारी को और मजबूत करना होगा। सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश बढ़ाने और वैश्विक कंपनियों जैसे TSMC, इंटेल और AMD के साथ साझेदारी की योजना बनाई है।

भविष्य की संभावनाएं

नई नीति से भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग को गति मिलेगी और यह देश को इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, और AI जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाएगा। यह नीति लगभग 1.35 लाख नौकरियों के सृजन का अनुमान लगाती है और भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर हब के रूप में स्थापित करेगी।

निष्कर्ष

छोटे भूखंडों पर सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियां स्थापित करने की नई नीति भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। यह न केवल निवेश को आकर्षित करेगी, बल्कि भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाएगी।

 

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