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जीएसटी काउंसिल 12% स्लैब हटाने पर विचार कर रही है

जीएसटी काउंसिल 12% स्लैब हटाने पर विचार कर रही है: जानिए क्या होगा सस्ता और क्या महंगा

 

5 जून 2025 – वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, जीएसटी काउंसिल 12% टैक्स स्लैब को हटाने पर विचार कर रही है। इस निर्णय का उद्देश्य कर संरचना को सरल बनाना और व्यापारिक प्रक्रियाओं को सुगम बनाना है। वर्तमान में, जीएसटी चार प्रमुख स्लैब्स में विभाजित है: 5%, 12%, 18% और 28%। 12% स्लैब में कई आवश्यक वस्तुएं और सेवाएं शामिल हैं, लेकिन इसका राजस्व योगदान केवल 8% है, जबकि 18% स्लैब से लगभग 70% राजस्व प्राप्त होता है।

 

12% स्लैब हटाने का प्रस्ताव

जीएसटी दरों के पुनर्गठन के लिए गठित मंत्रियों के समूह (GoM) ने सुझाव दिया है कि 12% स्लैब को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाए और संबंधित वस्तुओं और सेवाओं को 5% या 18% स्लैब में स्थानांतरित किया जाए। इस कदम से कर प्रणाली को सरल बनाने और अनुपालन बोझ को कम करने की उम्मीद है।

 

किन वस्तुओं पर प्रभाव पड़ेगा?

12% स्लैब में वर्तमान में निम्नलिखित वस्तुएं और सेवाएं शामिल हैं:

रेडीमेड कपड़े और वस्त्र

साइकिल और उनके पुर्जे

बोतलबंद पानी

रेस्टोरेंट सेवाएं (कुछ श्रेणियों में)

बिजली के उपकरण जैसे पंखे, मिक्सर आदि

 

इनमें से कुछ वस्तुओं को 5% स्लैब में स्थानांतरित करने से उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है, जबकि अन्य को 18% स्लैब में ले जाने से कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

राजस्व और राजनीतिक चिंताएं

12% स्लैब को हटाने से राजस्व पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि कर संरचना के सरलीकरण से दीर्घकालिक लाभ होंगे। राजनीतिक दृष्टिकोण से, आवश्यक वस्तुओं पर कर दरों में वृद्धि करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे इस निर्णय पर व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता है।

उद्योगों की प्रतिक्रिया

गोवा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (GCCI) ने होटल और रेस्तरां सेवाओं पर एक समान 12% जीएसटी दर की सिफारिश की है, जिससे इन क्षेत्रों में कर संरचना सरल हो सके। इसके अलावा, निर्माण सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति देने की भी मांग की गई है।

आगे की राह

जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में 12% स्लैब को हटाने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। यदि यह प्रस्ताव पारित होता है, तो कर संरचना में तीन प्रमुख स्लैब रह जाएंगे: 5%, 18% और 28%। इससे कर प्रणाली और अधिक सरल और पारदर्शी बनने की उम्मीद है।

 

नोट: यह लेख केवल सूचना प्रदान करने के उद्देश्य से है। निवेश या वित्तीय निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।

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