जेनसोल इंजीनियरिंग पर संकट गहराया: शेयरों में 93% गिरावट
जेनसोल इंजीनियरिंग पर संकट गहराया: शेयरों में 93% गिरावट, एनसीएलटी ने दिवालियापन याचिकाओं पर नोटिस जारी किया
जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड, जो एक समय निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र थी, अब गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है। पिछले छह महीनों में कंपनी के शेयरों में 93% की गिरावट आई है, जिससे यह ₹58.08 प्रति शेयर पर पहुंच गया है। इस गिरावट के पीछे कंपनी पर लगे वित्तीय अनियमितताओं के आरोप और विभिन्न नियामक एजेंसियों की जांच हैं।
एनसीएलटी की कार्रवाई
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की अहमदाबाद पीठ ने जेनसोल इंजीनियरिंग और उसकी सहायक कंपनी ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी लिमिटेड के खिलाफ तीन नई दिवालियापन याचिकाओं पर नोटिस जारी किए हैं। इन याचिकाओं में स्पेक्ट्रम ट्रिमपेक्स प्राइवेट लिमिटेड और कैटेलिस्ट ट्रस्टीशिप लिमिटेड ने ब्लूस्मार्ट के खिलाफ ₹1 करोड़ के बकाया भुगतान का दावा किया है, जबकि इक्वेंटिया फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने जेनसोल पर ₹9 करोड़ का बकाया बताया है। एनसीएलटी ने दोनों कंपनियों को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इरेडा की दिवालियापन याचिका
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) ने जेनसोल इंजीनियरिंग के खिलाफ ₹510 करोड़ के ऋण चूक के मामले में दिवालियापन याचिका दायर की है। इस याचिका पर सुनवाई 11 जून 2025 को निर्धारित की गई है।
सेबी और एमसीए की जांच
सेबी और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने जेनसोल इंजीनियरिंग और उसके प्रमोटरों के खिलाफ वित्तीय कदाचार और फंड डायवर्जन के आरोपों की जांच शुरू की है। सेबी ने 15 अप्रैल 2025 को एक अंतरिम आदेश में जेनसोल और उसके प्रमोटरों को प्रतिभूति बाजार तक पहुंचने से रोक दिया था। इसके अलावा, प्रमोटरों को कंपनी में किसी भी निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद धारण करने से भी प्रतिबंधित किया गया है।
कंपनी की वित्तीय स्थिति
जेनसोल इंजीनियरिंग ने ₹977.75 करोड़ का ऋण प्राप्त किया था, जिसमें ₹663.89 करोड़ का ऋण 6,400 इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए था। इन वाहनों को बाद में संबंधित पार्टी ब्लूस्मार्ट को लीज पर दिया गया था।
निवेशकों के लिए चेतावनी
जेनसोल इंजीनियरिंग की वर्तमान स्थिति निवेशकों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। कंपनी पर लगे आरोप, नियामक जांच और वित्तीय संकट ने इसके भविष्य को अनिश्चित बना दिया है। निवेशकों को ऐसे मामलों में सतर्क रहने और निवेश से पहले पूरी जांच-पड़ताल करने की सलाह दी जाती है।
कुल मिलाकर, जेनसोल इंजीनियरिंग की स्थिति भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे वित्तीय अनियमितताएं और कमजोर कॉर्पोरेट गवर्नेंस किसी कंपनी को संकट में डाल सकती हैं।