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हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की पैनी नजर

Income Tax विभाग वित्तीय लेन‑देन की एक विस्तृत निगरानी करता है, यह निगरानी Annual Information Statement (AIS) और Form 26AS जैसी रिपोर्टिंग सिस्टम के माध्यम से होती है। भारतीय आयकर विभाग (Income Tax Department) ने कर चोरी रोकने के लिए हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन्स (High-Value Transactions) पर नजर रखने के लिए अपनी निगरानी को और सख्त कर दिया है। विभाग ने हाल ही में कई बैंकों, वित्तीय संस्थानों और डिमैट अकाउंट होल्डर्स से डेटा एकत्र किया है, ताकि टैक्स चोरी (Tax Evasion) और बेनामी लेनदेन (Benami Transactions) पर अंकुश लगाया जा सके। अगर आपने भी हाल में कोई बड़ा लेनदेन किया है, तो आपको आयकर विभाग का नोटिस मिल सकता है। डिजिटल युग में, जहां नकद लेनदेन कम हो रहे हैं, फिर भी कई लोग बड़े नकद लेनदेन के जरिए टैक्स की नजरों से बचने की कोशिश करते हैं। हालांकि, आयकर विभाग अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा एनालिटिक्स जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग करके इन लेनदेन को ट्रैक कर रहा है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, विभाग एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और फॉर्म 26AS जैसे दस्तावेजों के माध्यम से करदाताओं के छोटे-बड़े सभी लेनदेन पर नजर रखता है। यह कदम न केवल कर चोरी को रोकने के लिए है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि करदाता अपनी आय के अनुरूप खर्च कर रहे हैं। विशेष रूप से उन लेन‑देन पर ध्यान रहता है जो किसी व्यक्ति की घोषित आय की तुलना में अत्यधिक हों- जैसे नकद जमा, संपत्ति की खरीद–बिक्री, म्यूचुअल फंड में निवेश आदि ।

हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन्स पर नजर क्यों?

आयकर विभाग का मुख्य उद्देश्य उन व्यक्तियों को पकड़ना है जो अपनी आय को कम दिखाकर कर की चोरी करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति का खर्च उसकी घोषित आय से मेल नहीं खाता, तो उसे टैक्स नोटिस मिल सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति लग्जरी कार खरीदता है या विदेश यात्रा पर लाखों रुपये खर्च करता है, लेकिन उसकी आय इस खर्च को उचित नहीं ठहराती, तो विभाग उससे पूछताछ कर सकता है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने बैंकों, डाकघरों, फिनटेक कंपनियों और म्यूचुअल फंड हाउसेज जैसे संस्थानों को निर्देश दिए हैं कि वे वित्तीय वर्ष में हुए हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन्स की जानकारी 31 मई तक प्रदान करें।

 

आयकर विभाग की निगरानी की प्रमुख प्रणालियाँ

AIS व Form 26AS: बैंक और वित्तीय संस्थान सभी बड़े लेन‑देन रिपोर्ट करते हैं, जिन्हें विभाग ई‑फाइलिंग पोर्टल पर देख सकता है ।

Statement of Financial Transactions (SFT): प्रतिवर्ष सभी संस्थाओं को ₹10 लाख से ऊपर के लेन‑देन, ₹30 लाख से अधिक संपत्ति सौदे, ₹50 लाख से अधिक चालू खाते लेन‑देन आदि की रिपोर्ट मूल्यांकन अधिकारी तक पहुँचानी होती है ।

E‑Campaign (Compliance Portal): यदि भुगतान और रिपोर्टेड आय में असंगति होती है, तो विभाग टैक्सपेयर्स को ई‑मेल या SMS भेजकर स्पष्टीकरण या सुधार की गुंजाइश देता है ।

AIS और फॉर्म 26AS की भूमिका

विभाग प्रत्येक लेनदेन को व्यक्तिगत रूप से ट्रैक नहीं करता। इसके बजाय, यह AIS और फॉर्म 26AS जैसे दस्तावेजों पर निर्भर करता है, जो प्रॉपर्टी खरीद, स्टॉक मार्केट ट्रेड, ब्याज आय और टीडीएस जैसी जानकारी को संकलित करते हैं। CNBC TV18 की रिपोर्ट के अनुसार, FY 2024-25 के लिए ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी गई है, जिससे करदाताओं को अपने रिटर्न को AIS और फॉर्म 26AS के साथ मिलान करने का समय मिल गया है।

 

AI और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयकर विभाग अब AI और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके करदाताओं के खर्च और आय के बीच अंतर को पकड़ रहा है। यह तकनीक न केवल धोखाधड़ी को रोकती है, बल्कि कर प्रणाली को अधिक सटीक और भविष्यवाणी आधारित बनाती है।

 

कौन‑से ट्रांजैक्शन आते हैं निगरानी के रडार पर?

आयकर विभाग कुछ विशेष लेनदेन पर खास ध्यान देता है। इनमें शामिल हैं:

नकद निकासी: 10 लाख रुपये से अधिक का कैश विथड्रॉल – बैंक खातों में एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा की कैश निकासी करने वाले लोगों पर विभाग की नजर रहती है।

नकद जमा: यदि कोई व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में अपने बचत खाते में 10 लाख रुपये या चालू खाते में 50 लाख रुपये से अधिक नकद जमा करता है, तो यह जानकारी विभाग को दी जाती है।

प्रॉपर्टी लेनदेन: 30 लाख रुपये या उससे अधिक की प्रॉपर्टी खरीद या बिक्री होने पर प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार इसकी सूचना विभाग को देता है।

निवेश: शेयर, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर या बॉन्ड में 10 लाख रुपये या उससे अधिक का नकद निवेश भी विभाग के रडार पर आता है।

क्रेडिट कार्ड भुगतान: यदि कोई व्यक्ति एक वर्ष में क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 10 लाख रुपये या उससे अधिक का भुगतान करता है, तो यह भी जांच के दायरे में आता है।

विदेश यात्रा: 10 लाख रुपये से अधिक की विदेश यात्रा पर खर्च करने की जानकारी भी विभाग को मिलती है।

विदेशी लेनदेन: फॉरेन ट्रांजैक्शन, एजुकेशन या निवेश से जुड़े बड़े भुगतान भी टैक्स अथॉरिटी की रडार पर होते हैं।

 

कैसे ट्रैक करता है आयकर विभाग?

आयकर विभाग ने एआई-बेस्ड डेटा एनालिटिक्स टूल और प्रोजेक्ट इंसाइट (Project Insight) के जरिए टैक्सपेयर्स के वित्तीय डेटा का विश्लेषण करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, एसएसटी (Statement of Financial Transactions – SFT) के तहत बैंक्स, म्यूचुअल फंड कंपनियां और रजिस्ट्रार ऑफ प्रॉपर्टीज जैसी संस्थाएं बड़े लेनदेन की जानकारी सीधे आयकर विभाग को भेजती हैं।

 

चेतावनी संदेश और स्वयं‑सुधार की सुविधा

AIS के माध्यम से विभाग टैक्सपेयर्स को पहले “मिनी‑नोटिस” भेज सकता है, जिसमें वो पूछता है कि क्या संबंधित लेन‑देन आपकी ITR में घोषित हुए हैं या नहीं। इसमें एक विकल्प Compliance Portal के द्वारा फेसबुक प्रतिक्रिया देने या ITR सुधार (revised return) करने का होता है ।

अगर आपने पहले से ITR में सही जानकारी दे दी है, सिर्फ पोर्टल पे “correct” बताना होता है।

अगर कोई सूचनाएं छूट गई हों, तो ITR में सुधार (revised return) करना संभव है।

अगर बिलकुल ना बताई गई हों, तो Belated Return भी फाइल की जा सकती है (महा अवधि Sept 15, 2025 तक) ।

यह प्रोसेस विभाग को दिखाता है कि आप ईमानदारी से अपनी रिपोर्टिंग सुधार रहे हैं, जिससे संभावित जुर्माना या नोटिस से बचाव होता है ।

 

क्या होगा अगर मैच नहीं हुआ इनकम और ट्रांजैक्शन?

अगर किसी व्यक्ति की डिक्लेयर्ड इनकम (Declared Income) और फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन्स में बड़ा अंतर मिलता है, तो आयकर विभाग नोटिस जारी कर सकता है। इस स्थिति में:

आपको स्पष्टीकरण देना होगा कि बिना पर्याप्त इनकम स्रोत के इतना बड़ा लेनदेन कैसे हुआ।

अगर जवाब संतोषजनक नहीं है, तो विभाग पेनल्टी या टैक्स डिमांड कर सकता है।

गंभीर मामलों में, बेनामी संपत्ति कानून (Benami Act) के तहत जब्ती या जेल तक की सजा हो सकती है।

 

क्या गैर–अनुपालन के परिणाम हो सकते हैं?

दैनिक जुर्माना: Section 271FA के तहत ₹500 प्रति दिन का जुर्माना हो सकता है जब तक गलती सुधरती है ।

Scrutiny नोटिस: विभाग कैपिटल गेन, आय छुपाने या आय स्रोतों पर गंभीर जांच कर सकता है।

TDS कटौती: ₹1 करोड़ से अधिक नकद निकासी पर 2% TDS लागू हो सकता है (यदि पिछली ITR अनुपलब्ध हों या अनुपालन ना हो) ।

कानूनी कार्यवाही: जानबूझकर आय छुपाने पर जुर्माना और prosecution तक का सामना करना पड़ सकता है ।

 

विस्तार: हाल की घटनाएँ

₹2 लाख करोड़ के Wazirabad प्रॉपर्टी सौदे: आयकर विभाग ने वजीराबाद (गुरुग्राम) क्षेत्र में ₹30 लाख से अधिक प्रॉपर्टी सौदों की जानकारी जुटाई और संभावित छुपे सौदों पर जांच चल रही है ।

क्रिप्टो निवेश जांच: CBDT ने वर्चुअल डिजिटल असेट (VDA) जैसी क्रिप्टोकरेंसी लेन‑देन की जांच तेज की है, खासकर उच्च‑जोखिम वाले निवेशों की जांच के लिए ।

 

करदाता के लिए सुझाव

ITR समय पर और सही भरें – सभी आय, लाभ, लाभांश, पूंजी लाभ स्पष्ट रूप से रिपोर्ट करें ।

दस्तावेज़ रखें – बैंक स्टेटमेंट, क्रेडिट कार्ड बिल, बिक्री/खरीदी दस्तावेज़ आदि संभाल कर रखें ताकि जरूरत पड़ी तो दिखा सकें।

E‑Campaign नोटिस को तुरंत देखें और जवाब दें – पोर्टल पर उचित प्रतिक्रिया देकर अनुरूपता दिखाएँ।

CA से सलाह लें – विशेषकर जटिल लेन‑देन, संपत्ति डील, क्रिप्टो निवेश आदि के मामले में पेशेवर मार्गदर्शन लें।

 

कैसे बचें आयकर नोटिस से?

सभी ट्रांजैक्शन्स को प्रूफ के साथ रखें – बैंक स्टेटमेंट्स, प्रॉपर्टी डॉक्युमेंट्स और इनवेस्टमेंट रिसिप्ट्स को सेफ रखें।

इनकम स्रोत डिक्लेयर करें – अगर आपकी इनकम नहीं बढ़ी है, लेकिन आपने बड़ा ट्रांजैक्शन किया है, तो लोन, गिफ्ट या इनहेरिटेंस जैसे स्रोतों को क्लियर करें।

सही समय पर ITR फाइल करें – बिना देरी के इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) जमा करें और सभी आय स्रोतों को डिक्लेयर करें।

विशेषज्ञों का कहना है कि करदाताओं को नोटिस से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। करदाता समय पर रिटर्न दाखिल करें, सभी आय स्रोतों का खुलासा करें और बैंक स्टेटमेंट, चालान और फंड स्रोतों के प्रमाण जैसे दस्तावेज रखें। यदि नोटिस प्राप्त होता है, तो उसे ध्यान से पढ़ें, मुद्दे को समझें और प्रॉपर्टी पेपर्स या बैंक रिकॉर्ड जैसे प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ समय पर जवाब दें।

 

निष्कर्ष

आयकर विभाग की बढ़ती निगरानी से यह स्पष्ट है कि हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन्स को छिपाना अब लगभग असंभव है। आयकर विभाग की नई टेक्नोलॉजी और सख्त निगरानी के चलते अब टैक्स चोरी करना मुश्किल हो गया है। आइटी विभाग की आधुनिक डेटा‑ड्रिवेन सिस्टम और AIS/SFT आधारित निगरानी प्रणाली ने हाई‑वैल्यू ट्रांजैक्शन को पहचानना और जांचना बेहद सक्षम बना दिया है। टैक्सपेयर्स को चाहिए कि वे समय पर ITR भरें, सभी बड़े वित्तीय लेन‑देन की रिकॉर्डिंग ठीक से करें, और यदि विभाग से कोई पूछताछ हो तो Compliance Portal के माध्यम से शीघ्र प्रतिक्रिया दें। करदाताओं और बड़े लेनदेन करने वालों को सावधान रहना चाहिए और सभी वित्तीय गतिविधियों को पारदर्शी तरीके से रिपोर्ट करना चाहिए। अपने सभी लेनदेन को ठीक ढंग से दस्तावेजित करना चाहिए। समय पर और सटीक ITR फाइलिंग न केवल नोटिस से बचने में मदद करेगी, बल्कि वित्तीय अनुशासन को भी बढ़ावा देगी।इस तरह, गैर‑अनुपालन के खतरों—जुर्माने, जांच, कानूनी कार्रवाई—को प्रभावी रूप से टाला जा सकता है।

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