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भारत के पांच प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक-स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB)

भारत के पांच प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक—स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), और दो अन्य—एक साझा वसूली कंपनी की स्थापना की योजना बना रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य ₹5 करोड़ से कम के खुदरा और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) ऋणों की वसूली को अधिक प्रभावी और संगठित बनाना है।

 

पहल का उद्देश्य

वर्तमान में, केवल कुछ सरकारी बैंक ही अपने छोटे ऋणों की वसूली के लिए बाहरी एजेंसियों का सहारा लेते हैं। नई साझा वसूली कंपनी इस प्रक्रिया को केंद्रीकृत और सुव्यवस्थित करेगी, जिससे बैंकों को निम्नलिखित लाभ होंगे:

 

प्रमुख बैंकिंग कार्यों पर ध्यान केंद्रित: बैंक अपने मुख्य बैंकिंग कार्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे, क्योंकि वसूली का कार्य साझा कंपनी द्वारा संभाला जाएगा।

एकीकृत वसूली प्रक्रिया: जब एक ही उधारकर्ता के विभिन्न बैंकों से ऋण होते हैं, तो एकीकृत वसूली प्रक्रिया से समन्वय और दक्षता बढ़ेगी।

एनएआरसीएल जैसी संरचना: यह कंपनी ‘नेशनल एसेट रिकन्स्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड’ (NARCL) की तरह कार्य करेगी, जिसमें सभी सरकारी बैंक हिस्सेदारी लेंगे।

यदि साझा कंपनी के माध्यम से भी ऋण की वसूली नहीं हो पाती, तो संबंधित खाते को NARCL जैसी एसेट रिकन्स्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा जा सकता है। इससे बैंक बड़े ऋणों की वसूली पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।

 

पीएसबी एलायंस प्राइवेट लिमिटेड की भूमिका

इस पहल को ‘पीएसबी एलायंस प्राइवेट लिमिटेड’ नामक मौजूदा संस्था के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा। यह संस्था पहले इस पूरी प्रक्रिया का खाका तैयार करेगी और शुरुआत में पांच बैंक इस परियोजना में शामिल होंगे। बाद में अन्य सरकारी बैंक भी इसमें शामिल हो सकते हैं।

वित्त मंत्रालय की सिफारिशें

वित्त मंत्रालय ने बैंकों को अपने टॉप-20 सबसे बड़े डूबे हुए ऋणों (NPA) की नियमित समीक्षा करने और जिन खातों के निपटारे का प्रस्ताव तीन महीने से अधिक समय से लंबित है, उन पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं।

कार्यान्वयन की समयसीमा

पीएसबी एलायंस के एक अधिकारी के अनुसार, यह नई वसूली कंपनी वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत तक पूरी तरह से कार्यान्वित हो सकती है। सरकार के ‘ईएएसई रिफॉर्म्स’ (Enhanced Access and Service Excellence Reforms) के तहत, बैंकों को आपसी सहयोग बढ़ाने, साझा सुविधाएं विकसित करने और प्रदर्शन में सुधार के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

संभावित प्रभाव

इस पहल से बैंकों की ऋण वसूली प्रक्रिया में सुधार होगा, जिससे गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) में कमी आएगी और बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। इसके अलावा, यह कदम बैंकों को अपने मुख्य कार्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा, जिससे ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।

इस प्रकार, पांच प्रमुख सरकारी बैंकों द्वारा साझा वसूली कंपनी की स्थापना की योजना भारतीय बैंकिंग प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार की दिशा में कदम है, जो ऋण वसूली प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और संगठित बनाएगा।

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