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भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी NTPC का ग्रीन एनर्जी की ओर बड़ा कदम

भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की दिग्गज बिजली कंपनी एनटीपीसी (NTPC) ने पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से आगे बढ़ते हुए हरित ऊर्जा (Green Energy) की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाए हैं। वर्तमान में NTPC देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी है, जो अब न केवल कोयला आधारित थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है, बल्कि सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों को भी अपने पोर्टफोलियो में तेजी से शामिल कर रही है। यह कदम भारत सरकार की ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) रणनीति और 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य के अनुरूप है।

 

एनटीपीसी का मौजूदा स्थिति

NTPC की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 76 गीगावॉट (GW) से अधिक है, जिसमें अधिकांश हिस्सा कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट्स से आता है। यह कंपनी देश में कोयला आधारित बिजली उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन साथ ही यह महसूस कर रही है कि भविष्य की ऊर्जा हरित और स्वच्छ होगी।

वर्तमान में NTPC के पास लगभग 3.5 GW की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता पहले से चालू है और लगभग 7.5 GW की ग्रीन एनर्जी परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। कंपनी का लक्ष्य है कि वह वर्ष 2032 तक अपनी कुल क्षमता का 50% से अधिक हिस्सा हरित ऊर्जा से उत्पन्न करे।

 

निवेश की नई रणनीति

एनटीपीसी ने अपने ग्रीन एनर्जी पोर्टफोलियो को बढ़ाने के लिए एक अलग कंपनी NTPC Green Energy Ltd (NGEL) बनाई है। इस सहायक कंपनी के तहत आने वाले वर्षों में बड़े पैमाने पर निवेश की योजना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, NTPC अगले दशक में लगभग ₹2 लाख करोड़ रुपये का निवेश ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स में करेगी। इस निवेश का बड़ा हिस्सा सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, हाइड्रोजन और बैटरी स्टोरेज जैसे क्षेत्रों में केंद्रित होगा।

 

पावर ट्रांजिशन की दिशा में स्पष्ट दृष्टिकोण

NTPC यह समझती है कि कोयले से चलने वाले संयंत्रों की उम्र और पर्यावरणीय दबाव के कारण उन्हें धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से बंद करना होगा। लेकिन तब तक, कंपनी ने कोयला संयंत्रों की दक्षता बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए टेक्नोलॉजिकल अपग्रेडेशन की रणनीति भी अपनाई है।

इसके अलावा, NTPC हाइड्रोजन जैसे फ्यूचर एनर्जी सोर्स पर भी काम कर रही है। कंपनी हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए कई प्रयोगात्मक परियोजनाएं चला रही है, जिनमें लद्दाख और गुजरात जैसे स्थान शामिल हैं।

 

भारत के ऊर्जा भविष्य में NTPC की भूमिका

भारत जैसे विकासशील देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास दोनों बड़ी प्राथमिकताएं हैं। NTPC का यह बदलाव उस दिशा में एक बड़ा संकेत है। कंपनी का मानना है कि यदि ऊर्जा कंपनियां आज बदलाव नहीं करेंगी, तो वे भविष्य में बाजार में प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाएंगी।

NTPC के CMD गुरदीप सिंह के अनुसार, “हम भविष्य की तैयारी अभी से कर रहे हैं। ग्रीन एनर्जी केवल पर्यावरण की जरूरत नहीं, बल्कि व्यापारिक मजबूरी भी बन गई है।”

 

निवेशकों के लिए क्या है संकेत?

NTPC का यह ग्रीन ट्रांजिशन केवल पर्यावरणीय दृष्टि से नहीं, बल्कि निवेश के नजरिए से भी बेहद महत्वपूर्ण है। ग्रीन एनर्जी में प्रवेश करने से कंपनी की दीर्घकालिक स्थिरता और लाभप्रदता में वृद्धि की संभावना है। यही कारण है कि हाल के वर्षों में NTPC के शेयरों में सकारात्मक रुझान देखने को मिला है और विश्लेषकों का मानना है कि यह ट्रेंड आगे भी जारी रह सकता है।

 

निष्कर्ष

NTPC का ग्रीन एनर्जी की ओर यह बदलाव भारत की ऊर्जा नीति का अहम हिस्सा बनता जा रहा है। कोयले से ग्रीन एनर्जी की ओर यह संक्रमण केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए ही नहीं, बल्कि आने वाले समय में ऊर्जा आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिहाज से भी अत्यंत आवश्यक है। NTPC जैसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का अग्रणी भूमिका निभाना देश को ‘नेट ज़ीरो’ की दिशा में मजबूत बनाता है।

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