आरबीआई ने FY26 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को घटाकर 3.7% किया
आरबीआई ने FY26 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को घटाकर 3.7% किया, खाद्य कीमतों में कमी और स्थिर कोर मुद्रास्फीति का अनुमान
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 4% से घटाकर 3.7% कर दिया है। यह घोषणा 6 जून 2025 को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के दौरान आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की। इस संशोधन का मुख्य कारण खाद्य कीमतों में लगातार कमी और कोर मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर) का स्थिर रहना है। इसके साथ ही, आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जिससे यह 6% से घटकर 5.5% हो गया, और नीतिगत रुख को ‘अकोमोडेटिव’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया गया।
अप्रैल 2025 में सीपीआई मुद्रास्फीति 3.16% तक गिर गई, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है। खाद्य मुद्रास्फीति 1.78% तक कम हो गई, जो मजबूत रबी फसल उत्पादन और सामान्य से बेहतर मानसून के अनुमान से समर्थित है। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मुद्रास्फीति की उम्मीदें कम हो रही हैं, विशेष रूप से ग्रामीण परिवारों में। कोर मुद्रास्फीति, जो सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद स्थिर रही, FY26 में 4.1-4.2% के बीच रहने की उम्मीद है। हालांकि, वैश्विक व्यापार तनाव और मौसम की अनिश्चितताएँ जोखिम पैदा कर सकती हैं।
आरबीआई ने FY26 के लिए तिमाही मुद्रास्फीति अनुमान भी संशोधित किए हैं। पहली तिमाही (Q1) के लिए अनुमान 3.6% से घटाकर 2.9%, दूसरी तिमाही (Q2) के लिए 3.9% से 3.4%, तीसरी तिमाही (Q3) के लिए 3.8%, और चौथी तिमाही (Q4) के लिए 4.2% निर्धारित किया गया है। एसबीआई रिसर्च ने अनुमान लगाया कि Q1 FY26 में मुद्रास्फीति 3% से नीचे जा सकती है, और पूरे वर्ष के लिए औसत 3.5% रह सकता है। यह अनुमान मजबूत फसल उत्पादन, कम वैश्विक कमोडिटी कीमतों, और स्थिर रुपये के आधार पर है।
रेपो रेट में कटौती का निर्णय भारत की आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए लिया गया, जो FY25 में 7.4% से घटकर FY26 में 6.3-6.5% रहने का अनुमान है। आरबीआई ने नीतिगत रुख को न्यूट्रल करने का फैसला किया, जिससे भविष्य में और दर कटौती की संभावना बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि FY26 में कुल 75-125 बेसिस पॉइंट की और कटौती हो सकती है, जिसमें जून और अगस्त में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती संभावित है। यह कदम उपभोक्ता मांग को बढ़ाने और रियल एस्टेट, ऑटोमोटिव जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा।
खाद्य और पेय पदार्थ, जो सीपीआई में 45.86% का वजन रखते हैं, अप्रैल में केवल 2.1% की वृद्धि दर्ज की, जिसमें दाल, मसाले, और मांस जैसे उत्पादों में डिफ्लेशन देखा गया। ईंधन की कीमतों में भी मार्च-अप्रैल में डिफ्लेशन रहा, जिसने समग्र मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखा। हालांकि, स्वास्थ्य, व्यक्तिगत देखभाल, और परिवहन जैसे क्षेत्रों में मुद्रास्फीति औसत से अधिक रही, जो शहरी मांग में कमी को दर्शाता है।
विश्लेषकों का कहना है कि कम मुद्रास्फीति और अधिशेष नकदी ने बैंकों के लिए तरलता बढ़ा दी है, जिससे ऋण वृद्धि को समर्थन मिलेगा। PwC इंडिया के रानेन बनर्जी ने कहा कि रेपो रेट में कटौती और आयकर राहत से उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताएँ, जैसे कि टैरिफ तनाव, मुद्रास्फीति पर ऊपरी दबाव डाल सकते हैं। मई 2025 के लिए सीपीआई डेटा 12 जून को जारी होगा, जो भविष्य की नीतियों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत देता है, क्योंकि कम मुद्रास्फीति और ब्याज दरें उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए राहत प्रदान करेंगी।