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अडानी एयरपोर्ट्स ने विस्तार और कर्ज चुकौती के लिए 750 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की

5 जून 2025: अडानी एयरपोर्ट्स होल्डिंग्स लिमिटेड (एएएचएल), जो भारत की सबसे बड़ी निजी हवाई अड्डा संचालक कंपनी है और अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की सहायक कंपनी है, ने अंतरराष्ट्रीय बैंकों के एक समूह से 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 6300 करोड़ रुपये) की फंडिंग हासिल की है। यह फंडिंग बाहरी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के माध्यम से जुटाई गई है, जिसका नेतृत्व फर्स्ट अबू धाबी बैंक, बार्कलेज पीएलसी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने किया। इस फंडिंग का उपयोग मौजूदा 400 मिलियन डॉलर के कर्ज को चुकाने, छह प्रमुख हवाई अड्डों पर बुनियादी ढांचे के उन्नयन, क्षमता विस्तार और गैर-वैमानिकी व्यवसायों जैसे रिटेल, ड्यूटी-फ्री और खाद्य एवं पेय सेवाओं को बढ़ाने के लिए किया जाएगा।

फंडिंग का उद्देश्य और उपयोग

इस 750 मिलियन डॉलर की फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा, यानी 400 मिलियन डॉलर, मौजूदा कर्ज को चुकाने के लिए उपयोग किया जाएगा। शेष राशि का उपयोग अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम में संचालित छह हवाई अड्डों पर बुनियादी ढांचे के विकास और क्षमता विस्तार के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, यह फंडिंग गैर-वैमानिकी व्यवसायों को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी, जिसमें रिटेल, खाद्य और पेय, ड्यूटी-फ्री दुकानें और अन्य हवाई अड्डा सेवाएं शामिल हैं।

एएएचएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण बंसल ने कहा, “वैश्विक वित्तीय संस्थानों द्वारा हम पर दिखाया गया भरोसा भारत के विमानन बुनियादी ढांचे के दीर्घकालिक मूल्य और संभावनाओं को रेखांकित करता है। हम टेक्नोलॉजी का उपयोग करके सहज संचालन, विश्वस्तरीय ग्राहक अनुभव और टिकाऊ हवाई अड्डा बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हमारा लक्ष्य ‘गेटवे टू गुडनेस’ बनना है, जो ग्राहक-केंद्रित समाधान और वैश्विक स्तर पर सेवा और स्थिरता में बेंचमार्क स्थापित करने वाली हवाई अड्डा सुविधाएं प्रदान करता है।”

अडानी एयरपोर्ट्स का परिचय और उपलब्धियां

एएएचएल की स्थापना 2019 में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में की गई थी। यह कंपनी भारत के विमानन क्षेत्र में अडानी समूह की पहली पहल थी, जब इसने छह हवाई अड्डों – अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम – के संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) के साथ रियायती समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा, एएएचएल के पास मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में 74% हिस्सेदारी है, जो नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड को नियंत्रित करता है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में, एएएचएल ने 94 मिलियन यात्रियों को सेवा प्रदान की, जबकि इसकी कुल क्षमता 110 मिलियन थी। कंपनी का लक्ष्य चरणबद्ध विकास के माध्यम से 2040 तक अपनी यात्री क्षमता को तीन गुना बढ़ाकर 300 मिलियन प्रति वर्ष करना है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो जल्द ही परिचालन शुरू करेगा। इस हवाई अड्डे की प्रारंभिक क्षमता 20 मिलियन यात्रियों की होगी, जिसे बाद में बढ़ाकर 90 मिलियन किया जाएगा।

रणनीतिक महत्व और भविष्य की योजनाएं

यह फंडिंग अडानी समूह की रणनीति का हिस्सा है, जो एकीकृत बुनियादी ढांचे और परिवहन लॉजिस्टिक्स में वैश्विक नेतृत्व हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है। नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जो जून 2025 से वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने के लिए तैयार है, मुंबई क्षेत्र के विमानन बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा। यह हवाई अड्डा पांच चरणों में विकसित किया जा रहा है और पूरी तरह से विकसित होने पर यह 90 मिलियन यात्रियों को संभालने में सक्षम होगा।

एएएचएल भारत के यात्री यातायात का 23% और हवाई माल ढुलाई का 29% हिस्सा संभालता है, जो इसे देश का सबसे बड़ा निजी हवाई अड्डा संचालक बनाता है। कंपनी का ध्यान न केवल यात्री सुविधाओं को बढ़ाने पर है, बल्कि गैर-वैमानिकी राजस्व स्रोतों जैसे रिटेल और खाद्य सेवाओं को भी बढ़ाने पर है।

वित्तीय और सामाजिक प्रभाव

इस फंडिंग से न केवल अडानी एयरपोर्ट्स की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी, बल्कि यह भारत के विमानन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास को भी गति देगी। यह कदम भारत को वैश्विक विमानन केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा, जिससे कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह फंडिंग न केवल अडानी समूह की वित्तीय रणनीति को मजबूत करती है, बल्कि वैश्विक निवेशकों के बीच भारत के विमानन क्षेत्र की दीर्घकालिक संभावनाओं में विश्वास को भी दर्शाती है। हालांकि, हाल के भू-राजनीतिक तनावों और अडानी समूह से जुड़े विवादों के बावजूद, इस फंडिंग का हासिल होना समूह की विश्वसनीयता को दर्शाता है।

निष्कर्ष

750 मिलियन डॉलर की यह फंडिंग अडानी एयरपोर्ट्स के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत के विमानन क्षेत्र में इसके नेतृत्व को और मजबूत करेगा। यह न केवल बुनियादी ढांचे के विकास और क्षमता विस्तार को गति देगा, बल्कि गैर-वैमानिकी व्यवसायों को बढ़ावा देकर राजस्व के नए स्रोत भी खोलेगा। नवी मुंबई हवाई अड्डे जैसे परियोजनाओं के साथ, अडानी एयरपोर्ट्स भारत को वैश्विक विमानन मानचित्र पर और मजबूत स्थिति में लाने के लिए तैयार है।

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