HDFC बैंक की सहायक कंपनी HDB फाइनेंशियल सर्विसेज ने मिड-जुलाई तक 12,500 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) को लॉन्च करने की योजना बनाई है। यह 2025 में अब तक का सबसे बड़ा IPO होगा, जिससे निवेशकों और बाजार विश्लेषकों के बीच काफी उत्साह देखा जा रहा है।
IPO की मुख्य बातें
आकार: 12,500 करोड़ रुपये (लगभग $1.5 बिलियन)
लिस्टिंग की संभावित तिथि: मध्य जुलाई 2025
बुक रनिंग लीड मैनेजर्स: कोटक महिंद्रा कैपिटल, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, एचडीएफसी बैंक, और अन्य
उद्देश्य: पूंजी जुटाना और कर्ज कम करना
इस IPO में नए शेयरों के साथ-साथ प्रमोटर (HDFC बैंक) द्वारा बेचे जाने वाले शेयर भी शामिल होंगे। यह इश्यू सेबी (SEBI) के नियमों के अनुसार 35% रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षित होगा।
कंपनी के बारे में
HDB फाइनेंशियल सर्विसेज एक प्रमुख नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) है, जो लोन, वाहन फाइनेंस, SME लेंडिंग और इंश्योरेंस जैसी सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी का नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है, और यह HDFC बैंक के मजबूत बैकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ उठाती है।
हालिया वित्तीय प्रदर्शन:
रेवेन्यू (2024): 8,200 करोड़ रुपये
नेट प्रॉफिट (2024): 1,150 करोड़ रुपये
ऋण पोर्टफोलियो: 48,000 करोड़ रुपये से अधिक
बाजार और विश्लेषकों की प्रतिक्रिया
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह IPO निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर हो सकता है, क्योंकि HDB फाइनेंशियल सर्विसेज का HDFC बैंक के साथ मजबूत संबंध है और यह भारत के तेजी से बढ़ते फिनटेक सेक्टर में एक प्रमुख खिलाड़ी है।
कुछ विश्लेषकों ने चेतावनी भी दी है कि NBFC सेक्टर में प्रतिस्पर्धा काफी अधिक है, और RBI के सख्त नियमों के कारण इस क्षेत्र में जोखिम बना रहता है। हालांकि, HDB का मजबूत ऋण प्रबंधन और HDFC बैंक का समर्थन इसे एक सुरक्षित निवेश विकल्प बनाता है।
आगे की राह
अगर यह IPO सफल होता है, तो यह 2025 में भारतीय शेयर बाजार के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। इससे अन्य बड़ी कंपनियों को भी IPO लाने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे इस IPO के डिटेल्ड प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को ध्यान से पढ़ें और अपने वित्तीय सलाहकारों से परामर्श करने के बाद ही निवेश करें।
निष्कर्ष:
HDB फाइनेंशियल सर्विसेज का IPO 2025 के लिए एक प्रमुख बाजार घटना है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में NBFC सेक्टर की मजबूती को दर्शाता है। यदि बाजार की स्थितियां अनुकूल रहीं, तो यह निवेशकों और कंपनी दोनों के लिए एक जीत-जीत की स्थिति साबित हो सकता है।