सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों और उनके परिवारों को मुआवजा प्रदान करने के लिए भारत में मोटर व्हीकल्स एक्ट, 1988 के तहत विभिन्न प्रावधान हैं। इन प्रावधानों के माध्यम से, दुर्घटना के शिकार व्यक्ति या उनके परिजनों को वित्तीय सहायता मिलती है, चाहे उनके पास व्यक्तिगत बीमा हो या नहीं।
मोटर व्हीकल्स एक्ट के प्रमुख प्रावधान
मोटर व्हीकल्स एक्ट, 1988 में दो महत्वपूर्ण धाराएं हैं जो सड़क दुर्घटनाओं में मुआवजे से संबंधित हैं:
धारा 163ए: इस धारा के तहत, यदि किसी व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिजन मुआवजे का दावा कर सकते हैं। इसमें यह आवश्यक नहीं है कि दुर्घटना किसकी गलती से हुई।
धारा 166: इस धारा के अंतर्गत, यदि यह सिद्ध हो जाता है कि दुर्घटना किसी अन्य व्यक्ति की लापरवाही के कारण हुई है, तो पीड़ित या उसके परिजन वाहन के मालिक या बीमा कंपनी से मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई ट्रक चालक लापरवाही से वाहन चला रहा था और उससे दुर्घटना हुई, तो पीड़ित पक्ष अदालत में यह साबित करके मुआवजा मांग सकता है।
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस और मुआवजा
भारत में सभी वाहनों के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य है। इसका अर्थ है कि यदि किसी वाहन से किसी तीसरे व्यक्ति को नुकसान होता है, तो बीमा कंपनी को मुआवजा देना होता है। इसमें पीड़ित का स्वयं का बीमा होना आवश्यक नहीं है।
हिट एंड रन मामलों में मुआवजा
हिट एंड रन मामलों में, जहां दुर्घटना के बाद वाहन चालक फरार हो जाता है और उसकी पहचान नहीं हो पाती, पीड़ितों को मुआवजा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। ऐसे मामलों में, सरकार ने 2022 में मोटर व्हीकल्स एक्सिडेंट फंड की स्थापना की। इस फंड के माध्यम से, यदि किसी व्यक्ति की हिट एंड रन दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिजनों को ₹2 लाख और गंभीर रूप से घायल होने पर ₹50,000 का मुआवजा प्रदान किया जाता है।
निष्कर्ष
मोटर व्हीकल्स एक्ट, 1988 के तहत सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों और उनके परिजनों को मुआवजा प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रावधान हैं। चाहे दुर्घटना किसी की लापरवाही से हुई हो या हिट एंड रन मामला हो, कानून पीड़ितों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। हालांकि, मुआवजा प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों और प्रक्रियाओं की जानकारी होना आवश्यक है, ताकि समय पर सहायता प्राप्त की जा सके।