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शेयर बाजार में उछाल: RBI की रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती

Stocks to Watch

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6 जून 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद मजबूत उछाल दर्ज किया। इस कटौती के साथ रेपो रेट 6% से घटकर 5.5% हो गया, जो 2025 में तीसरी बार की गई कमी है। इससे पहले फरवरी और अप्रैल में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी। इस घोषणा के बाद, BSE सेंसेक्स 700 अंक (0.86%) चढ़कर 82,697.73 पर और NSE निफ्टी 218.05 अंक (0.88%) बढ़कर 24,968.95 पर पहुंच गया। बैंक निफ्टी ने 56,515 का नया रिकॉर्ड बनाया, जो निवेशकों में बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। RBI ने कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को भी 4% से 3% तक कम किया, जिससे बैंकिंग सिस्टम में 2.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी आएगी।

रेपो रेट कटौती का असर

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई MPC की बैठक में यह फैसला 5-1 के बहुमत से लिया गया। एक सदस्य ने 25 बेसिस पॉइंट की कटौती का समर्थन किया। रेपो रेट में कमी से होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरें कम होने की उम्मीद है, जिससे उधारकर्ताओं को राहत मिलेगी। साथ ही, स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) रेट 5.25% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट व बैंक रेट 5.75% पर समायोजित किए गए। CRR में कटौती चार चरणों (6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर) में लागू होगी, जिससे बैंकों को उधार देने के लिए अधिक नकदी मिलेगी। इससे वित्तीय, रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में मांग बढ़ने की संभावना है।

आर्थिक अनुमान और नीतिगत रुख

RBI ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए GDP वृद्धि अनुमान को 6.5% पर बनाए रखा, जिसमें तिमाही अनुमान Q1 में 6.5%, Q2 में 6.7%, Q3 में 6.6% और Q4 में 6.3% हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति का अनुमान 4% से घटाकर 3.7% किया गया, जो अप्रैल 2025 में 3.16% के निचले स्तर के कारण है। गवर्नर मल्होत्रा ने नीतिगत रुख को ‘न्यूट्रल’ रखा, ताकि वैश्विक अनिश्चितताओं, विशेष रूप से अमेरिकी टैरिफ नीतियों के प्रभाव, का सामना करने के लिए लचीलापन बना रहे। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार तनाव भारत के निर्यात और GDP पर 20-40 बेसिस पॉइंट का असर डाल सकते हैं।

बाजार की प्रतिक्रिया

RBI की घोषणा के बाद शेयर बाजार में तेजी देखी गई। निफ्टी 50 ने 24,899.85 का इंट्राडे उच्च स्तर छुआ, जबकि सेंसेक्स 81,911.13 तक पहुंचा। बैंकिंग और वित्तीय शेयरों में उछाल रहा, जिसमें बजाज फाइनेंस 4%, जिंदल स्टील 3.2%, एक्सिस बैंक 2.38%, मारुति सुजुकी 2.5% और बजाज फिनसर्व 2.2% की बढ़त के साथ शीर्ष लाभार्थी रहे। निफ्टी फार्मा 1.05% और निफ्टी हेल्थकेयर 0.94% की बढ़त के साथ अन्य प्रमुख क्षेत्र रहे। BSE मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी क्रमशः 0.39% और 0.65% चढ़े। बाजार की यह तेजी कम मुद्रास्फीति, मजबूत घरेलू मांग और RBI की रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये की डिविडेंड भुगतान से प्रेरित थी।

वैश्विक संदर्भ और चुनौतियां

मल्होत्रा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों पर चिंता जताई, जो जुलाई 2025 में समाप्त होने वाली छूट के बाद भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकती हैं। भारतीय रुपये की हालिया कमजोरी (87.59 प्रति डॉलर) के बावजूद, RBI ने इसे नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप की नीति अपनाई है। वैश्विक व्यापार तनाव और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं बाजार के लिए जोखिम बनी हुई हैं, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था अन्य उभरते बाजारों की तुलना में बेहतर स्थिति में है।

निष्कर्ष

RBI की रेपो रेट और CRR में कटौती ने शेयर बाजार को नई गति दी है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। यह कदम आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और उधार लागत को कम करने में मदद करेगा। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताएं और रुपये की अस्थिरता पर नजर रखना जरूरी है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बैंकिंग और वित्तीय शेयरों पर ध्यान दें, क्योंकि ये क्षेत्र इस नीति से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे।

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