दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में शुमार वॉरेन बफेट, जिन्हें ‘ओमाहा का जादूगर’ कहा जाता है, ने अपनी 94 साल की उम्र में एक बार फिर साबित कर दिया कि धैर्य और चक्रवृद्धि ब्याज (कंपाउंडिंग) की शक्ति समय के साथ कितने चमत्कार कर सकती है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, बफेट की कुल संपत्ति, जो वर्तमान में 160 अरब डॉलर (लगभग 13.5 लाख करोड़ रुपये) है, का 98% हिस्सा उन्होंने 65 वर्ष की आयु के बाद अर्जित किया। यह आंकड़ा क्रिएटिव प्लानिंग, इंक. के अध्यक्ष और सीईओ पीटर मालौक ने साझा किया, जिसमें बताया गया कि 34 साल पहले, जब बफेट 65 वर्ष के थे, उनकी संपत्ति केवल 3 अरब डॉलर थी। तब से उनकी संपत्ति में 5,233% की वृद्धि हुई, जो चक्रवृद्धि ब्याज की ताकत को रेखांकित करता है।
बफेट ने स्वयं कहा है, “मेरा जीवन चक्रवृद्धि ब्याज का परिणाम है।” उनकी निवेश रणनीति लंबे समय तक धैर्यपूर्वक उच्च-गुणवत्ता वाली कंपनियों में निवेश करने पर आधारित है। उदाहरण के लिए, बफेट ने 1988 से 1994 के बीच कोका-कोला में 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया था, जो आज 28.8 अरब डॉलर का हो चुका है और 2024 में केवल डिविडेंड से 776 मिलियन डॉलर की आय हुई, बिना एक भी शेयर बेचे। इसी तरह, 1965 में जब बफेट ने बर्कशायर हैथवे का नियंत्रण संभाला, तब 1,000 डॉलर का निवेश आज 4.47 करोड़ डॉलर का हो चुका है, जबकि उसी अवधि में S&P 500 में निवेश केवल 3.42 लाख डॉलर तक पहुंचता। यह अंतर बफेट की अनुशासित निवेश शैली और कंपाउंडिंग की शक्ति को दर्शाता है।
बफेट की सफलता का राज उनकी ‘वैल्यू इनवेस्टिंग’ रणनीति में निहित है, जिसमें वे मजबूत मूलभूत आधार वाली कंपनियों में निवेश करते हैं और उन्हें दशकों तक होल्ड करते हैं। उन्होंने 2008 और 2020 की मंदी जैसे मुश्किल दौर में भी घबराए बिना निवेश बनाए रखा और अवसरों का लाभ उठाया। उदाहरण के लिए, जिन निवेशकों ने 2008 में सेंसेक्स के 8,000 अंक पर धैर्य रखा, उन्होंने 2023 तक इसे 65,000 अंक से अधिक देखा। बफेट का मानना है, “शेयर बाजार धैर्यवान लोगों को अधीर लोगों से धन हस्तांतरित करने का एक साधन है।”
भारतीय निवेशकों के लिए बफेट का दृष्टिकोण प्रासंगिक है। वे सलाह देते हैं कि शुरुआत जल्दी करें, कर्ज से बचें और सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) जैसे उपकरणों का उपयोग करें। उदाहरण के लिए, 25 वर्ष की आयु में 5,000 रुपये प्रति माह का निवेश, 10% वार्षिक रिटर्न के साथ, 60 वर्ष की आयु तक लगभग 2 करोड़ रुपये हो सकता है। लेकिन अगर यही निवेश 35 वर्ष की आयु से शुरू हो, तो यह केवल 67 लाख रुपये तक पहुंचेगा। समय कंपाउंडिंग का सबसे बड़ा मित्र है।
बफेट ने हाल ही में बर्कशायर हैथवे के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन वे चेयरमैन बने रहेंगे। उनकी विरासत निवेश में अनुशासन, धैर्य और कर्ज से बचने की सीख देती है। भारतीय संदर्भ में, हिंदुस्तान यूनिलीवर या नेस्ले इंडिया जैसी मजबूत कंपनियों में निवेश बफेट की रणनीति का अनुसरण कर सकता है। बफेट का यह मंत्र कि “समय शानदार व्यवसाय का मित्र है” निवेशकों को लंबी अवधि के लिए प्रेरित करता है।