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विप्रो की यात्रा: एक वनस्पति तेल निर्माता से ग्लोबल आईटी दिग्गज तक

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विप्रो की यात्रा: एक वनस्पति‑तेल निर्माता से ग्लोबल आईटी दिग्गज तक

  1. प्रारंभ – विचार से स्थिरता तक

विप्रो लिमिटेड की स्थापना 29 दिसंबर 1945 को महाराष्ट्र के अमलनेर में मोहम्मद हाशम प्रेमजी द्वारा की गई। शुरुआत में इसका नाम Western India Vegetable Products Limited था और यह पशु-वीज तेल (sunflower refined oil) और ‘787’ ब्रांड की ड्रायिंग सोप बनाता था। यह स्थानीय किसानों के साथ जुड़कर क्षेत्रीय बाजार में प्रतिष्ठा बनाने में सफल था।

 

  1. युवराज की भूमिका – अजीम प्रेमजी का आगमन

1966 में हाशम प्रेमजी की मृत्यु के बाद 21 वर्षीय अजीम प्रेमजी, जो स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई छोड़कर भारत लौटे, उन्होंने कंपनी की बागडोर संभाली। उन्होंने सिर्फ तेल निर्माण तक सीमित न रहकर उपभोक्ता साबुन, त्वचा-देखभाल और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में विविधता लाई, जिससे कंपनी ने व्यक्तिगत देखभाल व उपभोक्ता वस्तुओं में पाँव जमाया।

 

  1. नाम परिवर्तन व आईटी क्षेत्र पर ध्यान

1977 में कंपनी का नाम बदलकर Wipro Products Limited और 1982 में संक्षिप्त रूप Wipro Limited कर दिया गया, ये परिवर्तन कंपनी की तकनीक-केंद्रित दृष्टि को दर्शाते हैं।

1970 के दशक के उत्तरार्ध में अजीम ने कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की ओर कदम बढ़ाए। वर्ष 1981 में Wipro ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IISc) सहयोग से Intel 8086 आधारित पहला भारतीय मिनी‑कंप्यूटर विकसित किया। 1980 के दशक में कंपनी ने पर्सनल कंप्यूटर निर्माण शुरू किया और सॉफ्टवेयर सेवाओं पर फोकस बढ़ाया, जो अंततः सॉफ्टवेयर निर्यात में परिणत हुआ।

 

  1. वैश्विक विस्तार और स्टॉक लिस्टिंग

1990 के दशक में Wipro ने अपनी पहचान वैश्विक स्तर पर सुदृढ़ की। मुख्यतः अमेरिका और यूरोप में सॉफ्टवेयर निर्यात शुरू हुआ। 2000 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग ने इसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलाई।

डॉट-कॉम बुल के दौरान, Wipro का मार्केट कैप अन्य भारतीय कंपनियों जैसे इन्फोसिस से कई गुना ऊपर विकसित हुआ। 2004 में सालाना आय $1 बिलियन पार कर गई और 2006 तक उत्पाद अभियांत्रिकी एवं R&D सेवाएँ कुल राजस्व का लगभग 30% होंगी।

 

  1. तकनीकी नवाचार और सुपरकम्प्यूटर

2007 में Wipro ने Supernova नामक सुपरकम्प्यूटर श्रृंखला लॉन्च की, और 2011 में ISRO के साथ मिलकर भारत का तब का सबसे तेज़ सुपरकम्प्यूटर SAGA‑220 विकसित किया, जो विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में लागू हुआ।

 

  1. अधिग्रहण और डिजिटल रूपांतरण

विप्रो ने कई रणनीतिक अधिग्रहण के माध्यम से डिजिटल रूपांतरण की दिशा को मजबूत किया। 2005 से लेकर अब तक अनेक कंपनी जैसे Appirio (2016) और Capco (2021) को अनुक्रम में जोड़ा। ये अधिग्रहण क्लाउड, साइबर सुरक्षा, AI, डेटा एनालिटिक्स और डिजिटल एक्सपीरियंस तक पहुँच बढ़ाते रहे।

 

  1. क्लाइंट आधार और वैश्विक पहुंच

विप्रो आज 60+ देशों में अपनी सेवाएं प्रदान करता है और इसके ग्राहक आधार में 300+ संस्थाएँ शामिल हैं, जिनमें 50+ फॉर्च्यून 500 कंपनियाँ हैं। इसमें बोइंग, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, एयरबस, वालमार्ट जैसे विशाल नाम शामिल हैं।

 

  1. गुणवत्ता प्रक्रिया और सेवा मानक

Wipro Infotech ने PCMM स्तर 5 तथा SEI CMM स्तर 5 प्रमाणन हासिल किया, और भारतीय प्रबंधित आईटी सेवाओं में अग्रणी बना बना। AL राव जैसी तकनीकी नेताओं ने ISO 9000, CMM प्रक्रियाओं को अपनाया और गुणवत्ता उपादान सुनिश्चित किया।

 

  1. वर्तमान स्थिति और नेतृत्व परिवर्तन

मार्च 2024 तक Wipro के पास 2.34 लाख कर्मचारी थे, जिनमें लगभग 36.6% महिलाएं थीं। 2024 में Srini Pallia नए CEO बने, जबकि Rishad Premji कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका में कार्यरत हैं।

 

  1. निष्कर्ष: प्रेरणा और पहचान

परिवर्तनशील दृष्टि: तेल निर्माता से आईटी प्रदाता तक के परिवर्तन ने दिखाया कि मजबूत दृष्टि और नवाचार सफलता की कुंजी है।

नवाचार पर ध्यान: सुपरकम्प्यूटर, क्लाउड, AI आदि में अग्रणी कदम ने प्रतिस्पर्धा में बढ़त दी।

वैश्विक पहचान: NYSE लिस्टिंग और अधिग्रहण रणनीति ने Wipro को ग्लोबल स्तर पर स्थापित किया।

गुणवत्ता और प्रक्रिया: CMM स्तर 5 और ISO प्रमाणन ने सेवा की विश्वसनीयता बढ़ाई।

मानव पूंजी: बड़ी कार्यबल और महिलाओं की पर्याप्त तादाद ने विविधता को साकार किया।

 

अंत में

विप्रो की 80 वर्षों की यात्रा यह गवाह है कि कैसे हर दौर में परिवर्तन को अंगीकारकर, स्पष्ट नेतृत्व और स्थिर नवाचार के साथ एक कंपनी वनस्पति‑तेल से ग्लोबल आईटी दिग्गज बन सकती है। यह कहानी न सिर्फ कारोबारी सफलता की साक्षी है, बल्कि अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा भी प्रस्तुत करती है।

 

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