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भारत में लीची 7-15 दिन तक ताजा, मेडागास्कर में तीन महीने, जानें इसका कारण

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लीची, जिसे गर्मियों का रसीला और स्वादिष्ट फल माना जाता है, भारत में अपनी छोटी शेल्फ लाइफ के लिए जाना जाता है। भारत में लीची आमतौर पर कटाई के बाद 7 से 15 दिनों तक ही ताजा रहती है, जबकि मेडागास्कर जैसे देशों में यह तीन महीने तक ताजगी बनाए रख सकती है। इस अंतर का कारण तकनीकी प्रगति, जलवायु परिस्थितियाँ, और पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट में भारी अंतर है। बिहार के मुजफ्फरपुर, जो भारत में शाही लीची का केंद्र है, में लीची उत्पादन और निर्यात की संभावनाएँ बढ़ रही हैं, लेकिन शेल्फ लाइफ की चुनौती इसे वैश्विक बाजार में पीछे रखती है।

 

भारत में लीची की खेती मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, और हिमाचल प्रदेश में होती है, जहाँ मई और जून में फल की उपलब्धता अपने चरम पर होती है। बिहार अकेले देश के 43% लीची उत्पादन के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, सामान्य परिस्थितियों में लीची की शेल्फ लाइफ केवल 2-3 दिन होती है। उचित पोस्ट-हार्वेस्ट उपचार जैसे प्री-कूलिंग, सल्फरिंग, और कम तापमान पर भंडारण के साथ इसे 2-3 सप्ताह तक बढ़ाया जा सकता है। फिर भी, भारत में कोल्ड स्टोरेज और परिवहन की कमी, साथ ही उचित पैकेजिंग तकनीकों का अभाव, लीची को जल्दी खराब होने का कारण बनता है। गर्म और आर्द्र जलवायु भी फल को नुकसान पहुँचाती है, जिससे इसका रंग, स्वाद, और बनावट प्रभावित होती है।

 

दूसरी ओर, मेडागास्कर में लीची की शेल्फ लाइफ को तीन महीने तक बढ़ाने में वहाँ की उन्नत तकनीक और अनुकूल जलवायु की बड़ी भूमिका है। मेडागास्कर में लीची का सीजन नवंबर से जनवरी तक होता है, जब मौसम ठंडा और शुष्क होता है, जो फल की ताजगी बनाए रखने में मदद करता है। मेडागास्कर ने पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट में निवेश किया है, जिसमें सल्फर डाइऑक्साइड उपचार, वैक्यूम पैकिंग, और नियंत्रित तापमान वाले कोल्ड स्टोरेज शामिल हैं। सल्फर डाइऑक्साइड उपचार लीची की त्वचा को ऑक्सीकरण से बचाता है, जिससे उसका रंग लाल और आकर्षक बना रहता है। इसके अलावा, मेडागास्कर में निर्यात-उन्मुख बुनियादी ढांचा, जैसे कि उन्नत कोल्ड चेन और लॉजिस्टिक्स, फल को यूरोप और अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लंबे समय तक ताजा रखने में मदद करता है।

 

भारत में लीची के निर्यात को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएल), मुजफ्फरपुर और कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) प्रयासरत हैं। हाल ही में, मुजफ्फरपुर की शाही लीची को दुबई निर्यात किया गया, जिसे वहाँ के बाजारों में खूब सराहा गया। फिर भी, भारत का वैश्विक लीची व्यापार में हिस्सा केवल 1% है, जबकि मेडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका (28%), और थाईलैंड (25%) इस बाजार पर हावी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाने और किसानों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, मेडागास्कर की तरह सल्फरिंग और वैक्यूम पैकिंग को बढ़ावा देने से फल की ताजगी लंबे समय तक बनी रह सकती है।

 

बिहार के किसानों को नई किस्मों, जैसे गंडकी योगिता, गंडकी संपदा, और गंडकी ललिमा, की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो बेहतर गुणवत्ता और उत्पादकता प्रदान करती हैं। इसके अलावा, वैज्ञानिक खेती और ग्रीनहाउस तकनीकों पर भी काम हो रहा है ताकि लीची का उत्पादन अवधि जुलाई तक बढ़ाई जा सके। विशेषज्ञों का सुझाव है कि कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं का विस्तार, सही पैकेजिंग, और निर्यात-केंद्रित नीतियाँ भारत को वैश्विक लीची बाजार में मजबूत स्थिति दिला सकती हैं।

 

कुल मिलाकर, मेडागास्कर की तुलना में भारत में लीची की कम शेल्फ लाइफ का मुख्य कारण तकनीकी और बुनियादी ढांचे की कमी है। अगर भारत मेडागास्कर की तरह उन्नत तकनीकों और नीतियों को अपनाए, तो न केवल घरेलू बाजार में लीची की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि निर्यात में भी वृद्धि होगी, जिससे किसानों की आय में सुधार होगा।

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