भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की आगामी बैठक 6 जून 2025 को होने वाली है, जिसमें रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट (0.50%) की कटौती की संभावना जताई जा रही है। यह प्रस्तावित कटौती फरवरी और अप्रैल 2025 में पहले से की गई 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौतियों के बाद तीसरी बार होगी, जिससे रेपो रेट 6% से घटकर 5.5% हो सकता है।
रेपो रेट में संभावित कटौती के कारण
- क्रेडिट ग्रोथ में मंदी
वर्तमान में बैंकों का क्रेडिट ग्रोथ 9.8% पर है, जो पिछले वर्ष के 19.5% से काफी कम है। इस मंदी को दूर करने के लिए RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है, जिससे कर्ज सस्ता होगा और मांग बढ़ेगी।
- मुद्रास्फीति पर नियंत्रण
वर्तमान में मुद्रास्फीति 4% से नीचे है, जो RBI के लक्षित स्तर के भीतर है। इससे RBI को ब्याज दरों में कटौती का अवसर मिलता है, ताकि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा सके।
- मानसून और ग्रामीण मांग
अच्छे मानसून की उम्मीद से ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ने की संभावना है। इससे कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, जो समग्र आर्थिक विकास में सहायक होगा।
आम जनता पर प्रभाव
- होम और ऑटो लोन की EMI में कमी
रेपो रेट में कटौती से बैंकों की उधारी लागत घटेगी, जिससे वे होम और ऑटो लोन पर ब्याज दरें कम कर सकते हैं। इससे नए और मौजूदा कर्जदारों की मासिक EMI में राहत मिलेगी।
- मध्यम वर्ग के लिए राहत
मध्यम वर्ग, जो अधिकतर होम, ऑटो और पर्सनल लोन पर निर्भर होता है, के लिए यह कटौती आर्थिक राहत लेकर आएगी। कम EMI से उनकी मासिक बजट में सुधार होगा और खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी।
- रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को बढ़ावा
सस्ते कर्ज से रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर में मांग बढ़ेगी, जिससे इन क्षेत्रों में रोजगार और निवेश के अवसर बढ़ेंगे।
आर्थिक संकेतक और भविष्य की संभावनाएं
अमेरिकी डॉलर की कमजोरी: अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने से RBI को ब्याज दरों में कटौती का और अवसर मिल सकता है, जिससे विदेशी निवेश आकर्षित होगा।
आर्थिक विकास को समर्थन: ब्याज दरों में कटौती से उपभोग और निवेश बढ़ेगा, जिससे आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
भविष्य में और कटौतियां संभव: विशेषज्ञों का मानना है कि RBI आगामी बैठकों में और 50 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो रेट 5.25% तक आ सकता है।
निष्कर्ष
RBI द्वारा प्रस्तावित 50 बेसिस पॉइंट की रेपो रेट कटौती से आम जनता, विशेषकर मध्यम वर्ग, को कर्ज सस्ता मिलेगा और EMI में राहत मिलेगी। यह कदम आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेगा और मंदी के संकेतों को दूर करने में सहायक होगा। हालांकि, इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर नजर रखना आवश्यक होगा, ताकि मुद्रास्फीति और वित्तीय स्थिरता पर संतुलन बना रहे।