भारतीय मूल के मशहूर मनोरोग विशेषज्ञ और फार्मा उद्योगपति टोनमॉय शर्मा को अमेरिका में 149 मिलियन डॉलर (लगभग 1244 करोड़ रुपये) के हेल्थकेयर फ्रॉड के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 61 वर्षीय शर्मा, जो कैलिफोर्निया स्थित नशा मुक्ति उपचार नेटवर्क सॉवरेन हेल्थ ग्रुप के संस्थापक और पूर्व सीईओ हैं, को 29 मई 2025 को लॉस एंजिल्स अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया। यह मामला अमेरिका में हाल के वर्षों में नशा मुक्ति उपचार सेवाओं से जुड़े सबसे बड़े बीमा धोखाधड़ी के मामलों में से एक है। शर्मा पर चार वायर फ्रॉड, एक साजिश और तीन अवैध रिश्वत के आरोप लगाए गए हैं।
टोनमॉय शर्मा का जन्म असम के गुवाहाटी में हुआ था और वे बमुनीमैदम के रहने वाले हैं। उन्होंने 1987 में डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की और दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इंटर्नशिप की। इसके बाद, उन्होंने मनोरोग और मानसिक स्वास्थ्य अनुसंधान में एक प्रतिष्ठित करियर बनाया, विशेष रूप से स्किजोफ्रेनिया और संज्ञानात्मक मस्तिष्क कार्यों पर शोध के लिए। शर्मा ने 200 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए और पांच किताबें लिखीं। वे भारत और यूनाइटेड किंगडम में मेडिकल लाइसेंस धारक रहे हैं। हालांकि, 2008 में यूके में उनकी मेडिकल लाइसेंस रद्द कर दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने अमेरिका में अपनी गतिविधियां शुरू कीं।
अमेरिकी अटॉर्नी ऑफिस, सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ कैलिफोर्निया के अनुसार, सॉवरेन हेल्थ ग्रुप ने 2014 से 2020 तक निजी बीमा कंपनियों को 149 मिलियन डॉलर से अधिक के फर्जी दावे प्रस्तुत किए। अभियोजन पक्ष का दावा है कि शर्मा के निर्देश पर कंपनी के कर्मचारियों ने मरीजों को भ्रामक मार्केटिंग रणनीतियों के जरिए आकर्षित किया। मरीजों को यह बताया गया कि उनका इलाज एक धर्मार्थ फाउंडेशन द्वारा कवर किया जाएगा, जो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं था। कर्मचारियों ने मरीजों की व्यक्तिगत जानकारी, जैसे जन्म तिथि और सोशल सिक्योरिटी नंबर, का उपयोग बिना उनकी सहमति के निजी बीमा योजनाओं में नामांकन के लिए किया।
इसके अलावा, सॉवरेन ने अनधिकृत यूरिनलिसिस टेस्ट के लिए 29 मिलियन डॉलर से अधिक के फर्जी दावे किए। शर्मा के निर्देश पर, कंपनी ने अनावश्यक और महंगे ड्रग टेस्ट किए, जिन्हें चिकित्सकों द्वारा आदेशित नहीं किया गया था। कुछ मामलों में, ऐसे डॉक्टरों के नाम पर बिलिंग की गई जो कंपनी के लिए काम ही नहीं करते थे। कंपनी ने मरीजों की भर्ती के लिए 21 मिलियन डॉलर (लगभग 175 करोड़ रुपये) से अधिक की अवैध रिश्वत भी दी, जिन्हें मार्केटिंग या कंसल्टिंग शुल्क के रूप में छिपाया गया।
इस मामले की जांच 2017 में शुरू हुई, जब एफबीआई ने सॉवरेन के उपचार केंद्रों, सैन क्लेमेंटे में इसके मुख्यालय और शर्मा के सैन जुआन कैपिस्ट्रानो स्थित आवास पर छापेमारी की। 2018 में सॉवरेन हेल्थ ग्रुप बंद हो गया, लेकिन शर्मा ने डाना शोर्स रिकवरी नाम से नई कंपनी शुरू की। सह-आरोपी पॉल जिन सेन खोर, जो सॉवरेन के कैश मैनेजमेंट और अकाउंट्स पेएबल सुपरवाइजर थे, को भी गिरफ्तार किया गया है। खोर ने खुद को निर्दोष बताया है और उनका ट्रायल 29 जुलाई को निर्धारित है।
शर्मा के परिवार की बात करें तो वे असम के एक सम्मानित परिवार से हैं। उनके पिता स्वर्गीय फणी शर्मा एक प्रसिद्ध थिएटर कलाकार और गुवाहाटी में अनुराधा सिनेमा के मालिक थे। उनके छोटे भाई चिन्मय शर्मा वर्तमान में पारिवारिक स्वामित्व वाले सिनेमा का संचालन करते हैं। यदि शर्मा दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें प्रत्येक वायर फ्रॉड के लिए 20 साल, साजिश के लिए 5 साल और प्रत्येक अवैध रिश्वत के लिए 10 साल तक की सजा हो सकती है। यह मामला न केवल चिकित्सा समुदाय बल्कि दक्षिण एशियाई डायस्पोरा में भी हलचल मचा रहा है।