शुरुआती दौर और पैंटालून की सफलता
किशोर बियानी ने 1980 के दशक की शुरुआत में पैंटालून रिटेल इंडिया के माध्यम से फैशन रिटेल में प्रवेश किया।
2012 में Aditya Birla Nuovo Ltd ने पैंटालून रिटेल के नियंत्रित हिस्से में हिस्सेदारी खरीदकर इसे Aditya Birla Fashion & Retail Ltd में बदल दिया।
बिग बाजार की शुरुआत और चढ़ाव
2001 में Future Group ने Big Bazaar शुरू किया, जो अत्यधिक लोकप्रिय साबित हुआ और भारतीय रिटेल में क्रांति लाया।
यह फूड, फैशन, होम गुड्स व जनरल मर्चेंडाइज में माइक्रो-मैक्सिमाइजेशन की दृष्टि से विकसित हुआ।
🔹 तेज़ जोखिम और अत्यधिक विस्तार
किशोर बियानी ने 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी से पहले भारी कर्ज लेकर तीव्र विस्तार किया।
उनके अनेक ब्रांड्स और विभाग (किताबें, सैलून आदि तक) में एंट्री ने कंपनी को विविधता दी लेकिन फोकस डिस्टर्ब होकर आपूर्ति श्रृंखला दबाव में आ गई।
🔹 आपूर्ति श्रृंखला और उच्च ऋण का बोझ
Pantaloons Retail में 3:1 ऋण-ए-इक्विटी अनुपात था, जो वित्तीय संकट का संकेत था।
मंदी के बाद McKinsey की मदद ली लेकिन विस्तार की रणनीति और लोन दबाव ने बढ़ते कदमों को धीमा कर दिया।
🔹 पुनर्गठन की भीड़ और दिवालियापन की राह
2012 का पुनर्गठन
Aditya Birla Nuovo Ltd का पैंटालून में प्रवेश – किशोर की नियंत्रण शक्ति घटने लगा।
2012-13 में अनेक जॉइंट वेंचर छोड़ दिये गए, जैसे Etam, ताकि ऋण कम हो।
Future Group की चुनौतियाँ
2015 में Bharti Retail का अधिग्रहण ₹500 करोड़ में हुआ, लेकिन इसका पैसा फिर भी कर्ज चुकाने से अधिक खर्च हो गया।
2019 में Amazon ने Future Coupons में 49% हिस्सा लिया—जिससे उन्हें भविष्य में Future Retail में दखल का मौका मिला।
🔹 Reliance–Amazon का जटिल द्वंद्व
2020 में Reliance Retail ने Future Group की रिटेल/लॉजिस्टिक इकाइयों के लिए ₹24,713 करोड़ ($3.4 बिलियन) का समझौता किया।
लेकिन Amazon की कानूनी पाबंदी (SIAC आर्बिट्रेशन के तहत) और अदालतों में टकराव से यह डील टल गई ।
🔹 प्रवेश Reliance Smart Bazaar का
फरवरी 2022 तक, Reliance ने 200+ Future स्टोर्स नियंत्रित किए, जिनमें से कई को Smart Bazaar के रूप में पुनःब्रांड किया गया और बाकियों को बंद कर दिया।
इस परिवर्तन से Big Bazaar की जगह ले ली गई और कई पुराने स्टोर्स ने नई शुरुआत की।
🔹 पतन के कारण – एक दृश्य
किशोर बियानी की तेज विस्तार‑कुर्बानी और ‘दीर्घकालिक रणनीति’ की कमी मुख्य वजहें रहीं।
2008 के संकट के साथ-साथ, महँगा ऋण और अनेकों ब्रांड/विभागों में विस्तार ने कंपनी की छोटी मूल शक्तियों को कमजोर कर दिया ।
जटिल व कॉर्पोरेट लेन-देन में फँसे, जैसे Pantaloons की बिक्री, Amazon‑Reliance विवाद – ये सभी बड़ी विफलताएँ थीं।
🔹 वर्तमान स्थिति और भविष्य
अब किशोर बियानी ने अपने प्रतिष्ठित Central Mall (SOBO, मुंबई) को अप्रैल 2024 में ₹476 करोड़ में बेचकर अपने हिस्से का ऋण चुकाना शुरू किया।
हालाँकि Smart Bazaar के तहत कुछ स्टोर बचाए गए हैं, Future Group के बीच मौजूद पुरानी एकता टूट चुकी है।
📌 निष्कर्ष (600 शब्दों में सारांश):
किशोर बियानी का रिटेल सफर अनूठा है—पैंटालून से शुरुआत करके बिग बाजार के माध्यम से वह रिटेल क्रांति के अग्रदूत बने। लेकिन 2008 की आर्थिक राहत के बाद क्रेडिट के सहारे बेतहाशा विस्तार ने उनकी कंपनी को जकड़ लिया। आदित्य बिड़ला की एंट्री से पैंटालून का हिस्सा बिक गया और Future Group ने भारती रिटेल और Big Bazaar जैसे बड़े व्यावसायिक कदम उठाए, लेकिन कानूनी विवाद, ऋण का बोझ और अनियंत्रित विस्तार ने बिगाड़ कर रख दिया।
Reliance Retail के साथ हुआ ₹3.4 बिलियन का समझौता Amazon के कानूनी रोड़े तथा अदालतों में चली लम्बी लड़ाई की वजह से संभव नहीं हो पाया। परिणामस्वरूप, 2022 तक Big Bazaar स्टोर्स को बंद या Reliance Smart Bazaar में बदल दिया गया। किशोर ने अपने अहम संपत्तियों जैसे Central Mall को भी बेचना शुरू किया ताकि वह कर्ज चुकाने की प्रक्रिया जारी रख सकें।
बियानी की कहानी इस समय व्यवसाय में निरंतरता, ऋण संगठन, रणनीतिक एंकरिंग और कानूनी स्पष्टता का एक सबक है। तेज़ी से विस्तार के पीछे छिपा वित्तीय असंतुलन, नियामकीय बाधाएँ और प्रतिस्पर्धियों जैसे Reliance और Amazon का दबाव अंततः उनके व्यवसाय की नींव को हिला दिया। अब उनका ध्यान सुधारात्मक कदमों पर है—जैसे कर्ज प्रबंधन और संपत्ति का नियंत्रण। समय ही बताएगा कि क्या किशोर बियानी अपना तेज़-तर्रार किस्म का ‘रिटेल आविष्कार’ फिर से शुरु कर पाएँगे, या फिर यह उनका पराक्रम भरा सफर ही रहा—जो अंततः एक व्यवस्थित पतन में बदल गया।