भारत में सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ट्रैफिक नियमों को और सख्त कर दिया है। 1 मार्च 2025 से देशभर में लागू हुए नए ट्रैफिक चालान नियमों के तहत, अगर कोई नाबालिग वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके माता-पिता या अभिभावक को 25,000 रुपये का भारी जुर्माना देना होगा। इसके अलावा, नाबालिग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, जिसमें वाहन का पंजीकरण एक साल के लिए रद्द करना और नाबालिग को 25 साल की उम्र तक ड्राइविंग लाइसेंस से वंचित करना शामिल है। यह बदलाव मोटर वाहन अधिनियम 1988 में संशोधन के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित करना है।
सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने की पहल
भारत में हर साल हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं। इनमें से कई हादसे ट्रैफिक नियमों की अनदेखी के कारण होते हैं, जैसे कि ओवरस्पीडिंग, मोबाइल फोन का उपयोग, हेलमेट न पहनना, या शराब पीकर गाड़ी चलाना। नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना भी एक बड़ी समस्या रही है, क्योंकि कई माता-पिता या अभिभावक अपने बच्चों को कम उम्र में ही गाड़ी चलाने की अनुमति दे देते हैं। सरकार ने इस गंभीर मुद्दे को संबोधित करने के लिए नए नियम लागू किए हैं, ताकि अभिभावकों को भी जिम्मेदार ठहराया जा सके।
नए नियमों का विवरण
नए ट्रैफिक नियमों के अनुसार, नाबालिग द्वारा वाहन चलाने पर निम्नलिखित सजा का प्रावधान है:
25,000 रुपये का जुर्माना: अगर कोई नाबालिग वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो वाहन के मालिक (आमतौर पर माता-पिता या अभिभावक) को 25,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। पहले यह जुर्माना केवल 2,500 रुपये था, जो अब दस गुना बढ़ गया है।
वाहन पंजीकरण रद्द: नाबालिग द्वारा इस्तेमाल किए गए वाहन का पंजीकरण एक साल के लिए रद्द कर दिया जाएगा।
लाइसेंस पर रोक: नाबालिग को 25 साल की उम्र तक ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की अनुमति नहीं होगी।
कानूनी कार्रवाई: नाबालिग के खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के तहत तीन साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है।
इसके अलावा, अन्य ट्रैफिक उल्लंघनों के लिए भी जुर्माने को बढ़ाया गया है। उदाहरण के लिए, शराब पीकर गाड़ी चलाने पर पहली बार 10,000 रुपये का जुर्माना या 6 महीने की जेल हो सकती है। दूसरी बार उसी गलती को दोहराने पर 15,000 रुपये का जुर्माना और दो साल तक की जेल हो सकती है।
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
नए नियमों में कुछ अन्य उल्लंघनों के लिए भी सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। उदाहरण के लिए:
हेलमेट न पहनना: दोपहिया वाहन चालकों और पीछे बैठे व्यक्तियों के लिए हेलमेट अनिवार्य है। चार साल से अधिक उम्र के बच्चों को भी हेलमेट पहनना होगा। बिना हेलमेट के पकड़े जाने पर 1,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
प्रदूषण नियमों का उल्लंघन: दिल्ली जैसे शहरों में BS3 पेट्रोल और BS4 डीजल वाहनों पर प्रतिबंध के उल्लंघन पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
नोएडा में ब्रेकडाउन जोन: नोएडा एक्सप्रेसवे को ‘ब्रेकडाउन चालान जोन’ घोषित किया गया है, जहां वाहन खराब होने पर 20,000 रुपये का जुर्माना और वाहन जब्ती की कार्रवाई हो सकती है।
जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
नए नियमों को लेकर जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे सड़क सुरक्षा के लिए जरूरी कदम मानते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि भारी जुर्माना मध्यम वर्ग के लिए आर्थिक बोझ बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सख्त नियमों के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए, ताकि लोग ट्रैफिक नियमों का पालन स्वेच्छा से करें।
निष्कर्ष
नए ट्रैफिक नियम सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देने और लापरवाही को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। खास तौर पर नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने पर अभिभावकों की जिम्मेदारी तय करना एक सकारात्मक बदलाव है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को कम उम्र में वाहन चलाने से रोकें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें। साथ ही, समय पर चालान का भुगतान करने के लिए दिल्ली जैसे शहरों में आयोजित होने वाली लोक अदालतों का लाभ उठाया जा सकता है, जो लंबित चालानों को कम या शून्य करने का अवसर प्रदान करती हैं।