Site icon money fintech

तीसरा स्टॉक एक्सचेंज: समय और आवश्यकता

zerodha

zerodha

नितिन कामत ने CNBC‑TV18 से बातचीत के दौरान कहा कि भारत में वर्तमान में दो ही प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज—नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)—बने हुए हैं। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की पूंजी बाजार की विविधता और विकास को देखते हुए तीसरे एक्सचेंज की काफी गुंजाइश है ।
उन्होंने अनुमान लगाया कि इस दिशा में काम लगभग 5 से 10 साल के बीच शुरू हो सकता है।

क्यों ज़रूरी है तीसरा एक्सचेंज?
नितिन कामत ने बताया कि भारतीय मार्केट में कई ऐसे सेगमेंट हैं, जिन्हें NSE और BSE पूर्ण रूप से कवर नहीं करते, जैसे कि छोटे शहरों का सशक्त वित्तीय भागीदारी और विशेष प्रतिभूतियों की ट्रेडिंग। इसलिए, एक नए एक्सचेंज की ज़रूरत पोती जा सकती है ।
यह एक प्रबल संकेत है कि बाजार गहराई एवं पहुंच बना सकता है—विशेषकर उन निवेशकों के लिए जिन्हें वर्तमान प्लेटफॉर्म पर्याप्त अवसर नहीं देते।

पूंजी बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा
NSE एवं BSE पर लंबे समय से एकाधिकार रहा है। हालांकि कई छोटे एवं क्षेत्रीय एक्सचेंज अस्तित्व में हैं—जैसे Inter-Connected Stock Exchange (ISE), OTC Exchange of India—लेकिन उनकी पहुंच और कार्यशील क्षमता से कहीं पीछे हैं ।
नितिन कामत इस अंतर को भरने में रस लेते दिखे, और उनका मानना है कि तीसरा एक्सचेंज प्रतिस्पर्धा बढ़ा कर निवेशकों के लिए बेहतर कीमत, टेक्नोलॉजी और सुविधा उपलब्ध करवा सकता है।

तकनीकी और निवेश संबंधी कारक
तकनीकी उन्नति, आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPOs) का बढ़ता रूझान, और म्यूचुअल फंडों सहित नए निवेश साधनों की उपलब्धता ने बाजार को पहले से अधिक सशक्त बनाया है ।
नया एक्सचेंज इन्हीं प्रवृत्तियों का लाभ उठाने में सक्षम होगा, जिससे भारतीय निवेशकों को उपयोग में सरल, पारदर्शी और सस्ता प्लेटफॉर्म मिलेगा।

ज़िरोधा की भूमिका – बदलाव का अग्रदूत
जिरोधा के पास अभी लगभग 11% रिटेल और HNI इक्विटी होल्डिंग्स हैं । वस्तुतः ज़रोधा महामारी‑काल (2020–2024) में “डिप खरीदता” रिटेल स्टॉक होल्डिंग का प्रबल स्तंभ रहा ।
वर्तमान में कंपनी ब्रोकरिंग बिज़नेस में थोड़ी धीमी वृद्धि का सामना कर सकती है, लेकिन नितिन कामत का मानना है कि भीतरू समग्र विकास और 10,000 करोड़ रुपये की राजस्व लक्ष्य को छह-से-10 वर्षों में हासिल किया जा सकता है ।

लक्ष्य: व्यापक वित्तीय सेवा समूह
कंपनी अब एक “डिफाइन-फुल” वित्तीय सेवा समूह बनने की योजना पर काम कर रही है। इसमें बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश करने की भी योजना है, वर्तमान में नियामक मंजूरी का इंतज़ार चल रहा है ।
यह सिर्फ ब्रोकरिंग तक सीमित रहने की रणनीति नहीं, बल्कि व्यापक वित्तीय इकोसिस्टम में ज़िरोधा की मजबूत उपस्थिति सुनिश्चित करने का रास्ता है।

मौजूदा स्टॉक मार्केट दृष्टिकोण
नितिन कामत ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में तेज गिरावट होती है, तो 2008 की तरह निवेशक लंबी अवधि तक दूरी बनाए रख सकते हैं ।
यह इस बात को पुष्ट करता है कि नए एक्सचेंज की शुरूआत जोखिम, विश्वसनीयता और निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए सावधानीपूर्वक और सुनियोजित होनी चाहिए।

समग्र योजना और चुनौतियाँ
विनियमन: तीसरे एक्सचेंज के लिए RBI, SEBI और सरकार से उचित नियंत्रण ढांचा आवश्यक।

प्रौद्योगिकी: तेज, सुरक्षित, और लागत‑प्रभावी ट्रेडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण।

वित्तीय उत्पाद: विविध प्रतिभूतियों—IPOs, SME लिस्टिंग, कमोडिटी, और ETFs का समावेशन।

निवेशक जागरूकता: नए प्लेटफॉर्म को अपनाने पर रिटेल और संस्थागत निवेशकों की भागीदारी बढ़ाना।

निष्कर्ष
भारतीय पूंजी बाजार में तीसरे स्टॉक एक्सचेंज की संभावना अब काल्पनिक नहीं रह गई है।
जिन प्रमुख कारणों से यह समयानुकूल है:
निवेशक आधार का विस्तार (विशेषकर टियर‑2/3 शहरों में)
प्रौद्योगिकी और ट्रेडिंग जरूरतों में नवाचार
ब्रोकर और एक्सचेंजिस के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा
ज़िरोधा जैसे किफायती और डिस्काउंट मॉडल का उदय

ऐसे में अगले 5 से 10 वर्ष के भीतर, कोई तीसरा एक्सचेंज बड़ी भूमिका निभा सकता है—सेगमेंटेड इकोसिस्टम में संतुलन, तकनीकी अभिनव रफ्तार, और भारतीय निवेशकों के विश्वास को मजबूत करते हुए।

संक्षेप में, नितिन कामत इस दृष्टिकोण को लेकर आशावादी हैं। तीसरे एक्सचेंज से भारत का स्टॉक मार्केट और अधिक समावेशी, सहयोगी और सशक्त बन सकता है।
हालांकि चैलेंजेज़ जैसे नियामकीय स्वीकृति, तकनीकी तैयारी, और निवेशकों का विश्वास– ये सभी महत्वपूर्ण हैं। लेकिन अगर सही तरीके से विकसित किया जाए, तो भविष्य में यह पहल भारत की पूंजी बाजार की कहानी को एक नई दिशा दे सकती है।

समापन:
ज़िरोधा के सीईओ नितिन कामत का यह सुझाव न सिर्फ पूंजी बाजार की भारतीय संभावनाओं पर भरोसे को बढ़ाता है, बल्कि यह संकेत देता है कि भारत एक ऐसे आर्थिक युग की ओर बढ़ रहा है जहां विविधता और प्रतिस्पर्धा नई ऊँचाइयाँ छू रही है।

Exit mobile version