एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने भारत में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करने की योजना को फिलहाल स्थगित कर दिया है। इसके बजाय, कंपनी भारतीय बाजार में अपने वाहनों की बिक्री के लिए शोरूम स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह जानकारी केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
टेस्ला की भारत में रणनीति
केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी के अनुसार, टेस्ला भारत में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण नहीं करेगी, बल्कि केवल शोरूम खोलकर अपने वाहनों की बिक्री करेगी। कंपनी ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में एक शोरूम के लिए जगह फाइनल की है, जिसका मासिक किराया ₹32 लाख है। इसके अलावा, टेस्ला ने भारत में 25 से अधिक कर्मचारियों की भर्ती की है, जिससे संकेत मिलता है कि कंपनी जल्द ही भारतीय बाजार में अपने वाहनों की बिक्री शुरू कर सकती है।
सरकार की नई ईवी नीति और टेस्ला की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई नीति पेश की है। इस नीति के तहत, विदेशी कंपनियां यदि भारत में ₹4,150 करोड़ (लगभग $486 मिलियन) का निवेश करती हैं और तीन वर्षों के भीतर उत्पादन शुरू करती हैं, तो उन्हें 15% की रियायती आयात शुल्क पर सालाना 8,000 इलेक्ट्रिक कारें आयात करने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, टेस्ला ने इस नीति के तहत स्थानीय उत्पादन में रुचि नहीं दिखाई है और केवल शोरूम खोलने की योजना पर काम कर रही है।
अन्य वैश्विक कंपनियों की भागीदारी
जहां टेस्ला ने भारत में निर्माण से परहेज किया है, वहीं मर्सिडीज-बेंज, स्कोडा-फॉक्सवैगन, हुंडई और किया जैसी वैश्विक वाहन निर्माता कंपनियों ने भारत में इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण में रुचि दिखाई है। इन कंपनियों ने सरकार की नई नीति के तहत भारत में निवेश करने और स्थानीय उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है।
टेस्ला की बैठक में अनुपस्थिति
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, टेस्ला के प्रतिनिधियों ने सरकार की नई ईवी नीति पर चर्चा के पहले दौर में भाग लिया था, लेकिन बाद के दौरों में वे अनुपस्थित रहे। इससे संकेत मिलता है कि कंपनी ने भारत में स्थानीय उत्पादन की योजना को गंभीरता से नहीं लिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टेस्ला के भारत में निर्माण की योजना पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यदि टेस्ला भारत में कारखाना लगाकर अमेरिकी टैक्स से बचने की कोशिश करती है, तो यह अमेरिका के लिए “अनुचित” होगा।
निष्कर्ष
टेस्ला का भारत में केवल शोरूम खोलने का निर्णय देश की “मेक इन इंडिया” पहल के लिए एक चुनौती हो सकता है। हालांकि, अन्य वैश्विक कंपनियों की भागीदारी से भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को बढ़ावा मिल सकता है। सरकार की नई नीति का उद्देश्य देश को इलेक्ट्रिक वाहनों का वैश्विक हब बनाना है, और इसके लिए विदेशी निवेश को आकर्षित करना एक महत्वपूर्ण कदम है।