भारतीय सर्राफा बाजार में शुक्रवार, 6 जून 2025 को चांदी की कीमतों ने नया इतिहास रच दिया। चांदी की कीमत 3,000 रुपये प्रति किलोग्राम की उछाल के साथ रिकॉर्ड 1,07,100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई। इस तेजी ने निवेशकों और ज्वैलर्स के बीच उत्साह पैदा कर दिया है, जबकि सोने की कीमतें 99,690 रुपये प्रति 10 ग्राम पर स्थिर रहीं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर चांदी के जुलाई डिलीवरी अनुबंध में 2.88% की वृद्धि देखी गई, जो 1,06,610 रुपये प्रति किलो पर कारोबार कर रहा था। वहीं, सोने के अगस्त डिलीवरी अनुबंध में मामूली 0.02% की गिरावट के साथ 99,675 रुपये प्रति 10 ग्राम का स्तर रहा।
इस तेजी के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारक जिम्मेदार हैं। वैश्विक बाजार में चांदी की हाजिर कीमत 38.5 डॉलर प्रति औंस के उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो हाल के महीनों में निवेशकों की सुरक्षित संपत्तियों की ओर बढ़ती रुचि को दर्शाता है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियाँ, और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ चांदी और सोने जैसी कीमती धातुओं की मांग को बढ़ा रही हैं। इसके अलावा, भारतीय रुपये में कमजोरी ने भी आयातित धातुओं की कीमतों को और ऊपर धकेला। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक सौमिल गांधी ने बताया कि चांदी की औद्योगिक मांग, विशेष रूप से सौर पैनल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में, इस उछाल का एक प्रमुख कारण है।
चांदी की कीमतों में यह रिकॉर्ड वृद्धि निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर बन रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि चांदी में निवेश की संभावनाएँ सोने की तुलना में अधिक आकर्षक हो सकती हैं, क्योंकि इसकी कीमत अभी भी अपेक्षाकृत कम है और औद्योगिक उपयोग इसे और समर्थन देता है। रॉबर्ट कियोसाकी, ‘रिच डैड पुअर डैड’ के लेखक, ने अनुमान लगाया है कि 2035 तक चांदी की कीमत 3,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है, जो दीर्घकालिक निवेशकों के लिए एक बड़ा अवसर संकेत देता है। हालांकि, अल्पकालिक निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है, क्योंकि हाल की अस्थिरता मुनाफावसूली का कारण बन सकती है।
सोने की कीमतें, जो इस साल 20% से अधिक बढ़ चुकी हैं, शुक्रवार को स्थिर रहीं। एमसीएक्स पर सोने का जून अनुबंध 99,178 रुपये के उच्च स्तर को छूने के बाद स्थिर हो गया। वैश्विक बाजार में सोना 3,300 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंचा, लेकिन अमेरिकी डॉलर में मजबूती और ट्रंप की नीतियों पर अनिश्चितता ने इसकी गति को कुछ हद तक रोका। विशेषज्ञों का मानना है कि सोने में निवेश अभी भी सुरक्षित है, लेकिन इसकी कीमतों में और उछाल के लिए वैश्विक संकेतों पर नजर रखने की जरूरत है।
भारत में चांदी की मांग न केवल निवेश के लिए, बल्कि आभूषण और औद्योगिक उपयोग के लिए भी बढ़ रही है। हाल के महीनों में सौर ऊर्जा क्षेत्र में भारत की प्रगति ने चांदी की मांग को और बढ़ाया है, क्योंकि इसका उपयोग सोलर पैनल निर्माण में बड़े पैमाने पर होता है। इसके अलावा, त्योहारी सीजन और शादी के मौसम की शुरुआत से पहले ज्वैलर्स ने अपनी खरीदारी बढ़ा दी है, जिसने कीमतों को और समर्थन दिया।
विश्लेषकों का सुझाव है कि निवेशक चांदी में 97,000 रुपये के आसपास खरीदारी पर विचार कर सकते हैं, जबकि सोने में ‘खरीदारी ऑन डिप्स’ की रणनीति अपनाने की सलाह दी जा रही है। हालांकि, वैश्विक व्यापार नीतियों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों पर फैसले कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। कुल मिलाकर, चांदी की यह रिकॉर्ड उछाल निवेशकों और उद्योग के लिए एक नया अवसर लेकर आई है।