मुंबई में लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMM ट्रस्ट) ने एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (MD & CEO) शशिधर जगदीशन के खिलाफ गंभीर वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। ट्रस्ट, जो मुंबई के बांद्रा में लीलावती अस्पताल का संचालन करता है, ने 7 जून 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जगदीशन के तत्काल निलंबन और अभियोजन की मांग की। ट्रस्ट ने दावा किया कि एक जब्त नकदी रजिस्टर (कैश डायरी) के आधार पर बॉम्बे मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश से FIR नंबर 818/2025 दर्ज की गई, जिसमें 14.42 करोड़ रुपये की हेराफेरी का खुलासा हुआ, जिसमें से 2.05 करोड़ रुपये कथित तौर पर जगदीशन को प्राप्त हुए। ट्रस्ट ने जगदीशन पर वित्तीय धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, विश्वासघात, सबूतों के साथ छेड़छाड़ और न्याय में बाधा डालने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, ट्रस्ट ने दावा किया कि जगदीशन ने ट्रस्ट के 25 करोड़ रुपये बिना किसी प्रस्ताव, अनुमोदन या निगरानी के बैंक में अवैध रूप से जमा करवाए और लीलावती अस्पताल में अपने और अपने परिवार के लिए तरजीही चिकित्सा उपचार और छूट प्राप्त की।
लीलावती ट्रस्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सेबी, और वित्त मंत्रालय से जगदीशन को तत्काल सभी कार्यकारी और बोर्ड भूमिकाओं से निलंबित करने की मांग की है। ट्रस्ट ने यह भी आरोप लगाया कि जगदीशन ने पूर्व ट्रस्टियों के एक समूह को ट्रस्ट के धन की अवैध निकासी और अस्पताल के नियंत्रण में सहायता की, जिसके परिणामस्वरूप ट्रस्ट के संस्थापक और आजीवन ट्रस्टी किशोर मेहता को उनके निधन से पहले 100 से अधिक कानूनी समन का सामना करना पड़ा। ट्रस्ट का दावा है कि यह उत्पीड़न और मानसिक तनाव जगदीशन की मिलीभगत का परिणाम था।
दूसरी ओर, एचडीएफसी बैंक ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए इन्हें “निराधार” और “दुर्भावनापूर्ण” करार दिया है। बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि जगदीशन को उन बेईमान व्यक्तियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है जो लंबे समय से बकाया ऋण की वसूली को बाधित करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं। बैंक का दावा है कि ट्रस्टी प्रशांत मेहता और उनके परिवार के सदस्यों पर बैंक का काफी बकाया है, जो कभी चुकाया नहीं गया। एचडीएफसी बैंक ने कहा कि मेहता परिवार ने सुप्रीम कोर्ट सहित सभी कानूनी स्तरों पर असफल होने के बाद अब जगदीशन पर व्यक्तिगत हमले शुरू किए हैं ताकि बैंक को डराया जाए और ऋण वसूली को रोका जाए।
बैंक ने यह भी जोर देकर कहा कि वह अपने सीईओ की अखंडता और नेतृत्व पर गर्व करता है और इन आरोपों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा। प्रवक्ता ने आरोपों को “हास्यास्पद” और “असंभव” बताते हुए कहा कि यह ट्रस्ट की ओर से बैंक और इसके सीईओ की छवि को धूमिल करने की साजिश है। बैंक ने विश्वास जताया कि न्यायिक प्रक्रिया इन आरोपों के पीछे की दुर्भावनापूर्ण मंशा को उजागर करेगी।
यह विवाद लीलावती ट्रस्ट में दो दशकों से चल रहे पारिवारिक विवाद की पृष्ठभूमि में सामने आया है, जो अब वित्तीय और कानूनी स्तर पर बढ़ गया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों को उजागर करता है, साथ ही यह भी जांच का विषय है कि क्या ये आरोप सही हैं या केवल बकाया ऋण से बचने की रणनीति हैं। इस मामले का असर एचडीएफसी बैंक के शेयर मूल्य और निवेशक विश्वास पर भी पड़ सकता है, जो भारत का सबसे मूल्यवान निजी बैंक है।
आने वाले दिनों में इस मामले में और खुलासे होने की उम्मीद है, क्योंकि जांच और कानूनी कार्यवाही आगे बढ़ेगी। फिलहाल, एचडीएफसी बैंक ने अपने सीईओ का बचाव करते हुए इस मामले में कड़ा रुख अपनाने का फैसला किया है।