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आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की, होम लोन की ईएमआई में कमी से उधारकर्ताओं को राहत

RBI New Governor

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार, 6 जून 2025 को अपनी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की घोषणा की, जिसके बाद यह दर 6% से घटकर 5.5% हो गई है। यह फरवरी 2025 के बाद तीसरी कटौती है, जिससे कुल मिलाकर 100 बेसिस पॉइंट की कमी हुई है। इस फैसले से होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों में कमी आने की उम्मीद है, जिससे उधारकर्ताओं की मासिक किस्तों (ईएमआई) में राहत मिलेगी। इस कदम का उद्देश्य आर्थिक विकास को गति देना और मांग को बढ़ावा देना है, खासकर रियल एस्टेट और ऑटोमोटिव सेक्टर में।

 

इस रेपो रेट कटौती का सबसे बड़ा प्रभाव होम लोन उधारकर्ताओं पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कमी जल्द ही लागू की जाएगी, जिससे होम लोन की ईएमआई कम होगी। उदाहरण के लिए, 50 लाख रुपये के 20 साल के होम लोन पर, अगर ब्याज दर 8.5% से घटकर 8% हो जाती है, तो मासिक ईएमआई 43,391 रुपये से कम होकर लगभग 41,822 रुपये हो जाएगी, यानी प्रति माह 1,569 रुपये की बचत होगी। यह बचत पूरे लोन अवधि में 3.76 लाख रुपये तक हो सकती है। अगर उधारकर्ता ईएमआई को स्थिर रखकर लोन अवधि कम करता है, तो 206 महीनों में लोन चुकाया जा सकता है, जिससे ब्याज में 14.78 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है।

 

इसके अलावा, 100 लाख रुपये के 20 साल के लोन पर, अगर ब्याज दर 9% से घटकर 8% हो जाती है, तो ईएमआई 89,865 रुपये से कम होकर 83,644 रुपये हो जाएगी, जिससे प्रति माह 6,221 रुपये की बचत होगी। यह कटौती मध्यम और किफायती आवास खरीदारों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, क्योंकि यह उनकी खरीद क्षमता को बढ़ाएगी। क्रेडाई के अध्यक्ष शेखर जी. पटेल ने कहा कि कम ब्याज दरें मध्यम आय और किफायती आवास श्रेणियों में लोन की सामर्थ्य बढ़ाएंगी, जिससे पहली बार घर खरीदने वालों का हौसला बढ़ेगा।

 

बैंकों ने पहले ही इस तरह की कटौतियों का जवाब देना शुरू कर दिया है। अप्रैल 2025 में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), एचडीएफसी बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), और इंडियन बैंक जैसे बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में 0.25% तक की कमी की थी। उदाहरण के लिए, एसबीआई ने अपनी होम लोन दर को 8.50% से घटाकर 8.25% कर दिया, जिससे 50 लाख रुपये के 30 साल के लोन की ईएमआई 38,491 रुपये से कम होकर 37,598 रुपये हो गई, यानी प्रति माह 893 रुपये की बचत हुई। इंडियन बैंक ने भी होम लोन की दर को 8.15% से घटाकर 7.90% कर दिया।

 

हालांकि, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि उधारकर्ताओं को केवल कम दरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। लंबी अवधि के होम लोन, जो आमतौर पर 15 से 25 साल तक होते हैं, में भविष्य में दरों में वृद्धि का जोखिम रहता है। इसलिए, उधारकर्ताओं को अपनी आय का 40% से अधिक ईएमआई पर खर्च करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, कुछ उधारकर्ता अपनी मौजूदा ईएमआई को बनाए रखकर लोन अवधि को कम करने का विकल्प चुन सकते हैं, जिससे ब्याज की कुल लागत में और बचत हो सकती है।

 

यह रेपो रेट कटौती न केवल उधारकर्ताओं के लिए राहत लेकर आई है, बल्कि रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए भी सकारात्मक है, क्योंकि कम उधार लागत से नए प्रोजेक्ट शुरू करने में आसानी होगी। कुल मिलाकर, यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ाने और रियल एस्टेट सेक्टर को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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