आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना हर करदाता के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय जिम्मेदारी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए आयकर विभाग ने ITR फॉर्म्स को अधिसूचित कर दिया है, लेकिन विशेषज्ञ करदाताओं को 15 जून से पहले रिटर्न दाखिल करने से बचने की सलाह दे रहे हैं। इसके पीछे कई तकनीकी और प्रक्रियात्मक कारण हैं, जो करदाताओं को अनावश्यक परेशानियों से बचा सकते हैं। आइए, इस लेख में उन कारणों को विस्तार से समझते हैं कि क्यों 15 जून के बाद ITR दाखिल करना अधिक सुरक्षित और लाभकारी है।
TDS और Form 26AS में अपडेट का इंतजार
करदाताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारण है TDS (टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) और TCS (टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स) का Form 26AS में अपडेट होना। नियोक्ता, बैंक, या अन्य संस्थाएं जो आय पर कर काटती हैं, उन्हें 31 मई तक eTDS रिटर्न दाखिल करना होता है। इस प्रक्रिया में कुछ दिन लग सकते हैं, और यह जानकारी Form 26AS में आमतौर पर जून के दूसरे सप्ताह तक अपडेट होती है। यदि कोई करदाता इससे पहले ITR दाखिल करता है, तो Form 26AS में TDS क्रेडिट न दिखने के कारण उसे कर क्रेडिट से वंचित होना पड़ सकता है। इससे रिफंड में देरी या कर मांग का नोटिस भी मिल सकता है। चार्टर्ड अकाउंटेंट तरुण कुमार मदान के अनुसार, “15 जून तक इंतजार करने से करदाताओं को यह सुनिश्चित करने का समय मिलता है कि उनकी सारी TDS जानकारी Form 26AS में सही ढंग से दर्ज हो चुकी है।”
AIS और TIS के साथ डेटा का मिलान
आयकर विभाग ने तकनीकी प्रगति के साथ करदाताओं की सुविधा के लिए Annual Information Statement (AIS) और Taxpayer Information Summary (TIS) जैसे टूल्स उपलब्ध कराए हैं। ये दस्तावेज़ करदाता की आय, TDS, और अन्य वित्तीय लेनदेन की जानकारी को दर्शाते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ITR दाखिल करने से पहले इन दस्तावेज़ों में मौजूद जानकारी का Form 26AS और ITR फॉर्म के साथ मिलान करना आवश्यक है। यदि इनमें कोई विसंगति रहती है, तो करदाता को नोटिस या स्क्रूटनी का सामना करना पड़ सकता है। AIS में वित्तीय लेनदेन, जैसे नकद लेनदेन, फिक्स्ड डिपॉजिट, क्रेडिट कार्ड भुगतान, शेयर निवेश आदि, 31 मई तक संबंधित संस्थाओं द्वारा अपडेट किए जाते हैं। इस डेटा को प्रोसेस होने में 5-10 दिन लग सकते हैं, जिसके बाद यह जून के मध्य तक उपलब्ध होता है।
तकनीकी समस्याओं से बचाव
ITR दाखिल करने के लिए आयकर विभाग हर साल नई e-filing यूटिलिटीज जारी करता है। शुरुआती दिनों में इन यूटिलिटीज में तकनीकी समस्याएं, जैसे गणना में त्रुटियां, सिस्टम फेल्योर, या डेटा वैलिडेशन की समस्याएं, देखने को मिल सकती हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रकाश हेगड़े के अनुसार, “शुरुआती ITR यूटिलिटीज में तकनीकी गड़बड़ियां आम हैं। कुछ दिन इंतजार करने से सिस्टम स्थिर हो जाता है, जिससे फाइलिंग प्रक्रिया सुचारू होती है।” 15 जून तक इंतजार करने से करदाताओं को स्थिर और अपडेटेड यूटिलिटी का उपयोग करने का मौका मिलता है, जिससे त्रुटियों की संभावना कम होती है।
Form 16 और अन्य दस्तावेज़
वेतनभोगी करदाताओं के लिए Form 16 एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, जो नियोक्ता द्वारा 15 जून तक जारी किया जाता है। इसमें वेतन, TDS, और अन्य कटौतियों की जानकारी होती है। इसके बिना ITR दाखिल करना जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि गलत जानकारी के कारण रिटर्न में संशोधन करना पड़ सकता है। इसके अलावा, छोटे व्यवसायी जो ITR-4 (सुगम) फॉर्म का उपयोग करते हैं, उन्हें अपने GST रिकॉर्ड्स के साथ आय का मिलान करना चाहिए। यदि ये आंकड़े मेल नहीं खाते, तो आयकर विभाग की ओर से पूछताछ हो सकती है।
निष्कर्ष
हालांकि आयकर अधिनियम में जल्दी ITR दाखिल करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन 15 जून तक इंतजार करने से करदाताओं को कई लाभ मिलते हैं। यह न केवल तकनीकी समस्याओं से बचाता है, बल्कि सही और पूर्ण जानकारी के साथ रिटर्न दाखिल करने में भी मदद करता है। इससे कर क्रेडिट, रिफंड, और अनुपालन से संबंधित समस्याओं का जोखिम कम होता है। इसलिए, विशेषज्ञों की सलाह है कि करदाता धैर्य रखें और 15 जून के बाद ही ITR दाखिल करें।