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अडानी एयरपोर्ट्स का IPO मार्च 2027 तक लॉन्च हो सकता है

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गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप ने अपने एयरपोर्ट बिजनेस के लिए आगामी आईपीओ (Initial Public Offering) की तैयारियों को तेज कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड (AAHL) का आईपीओ मार्च 2027 तक लॉन्च किया जा सकता है। इससे पहले, कंपनी अपने एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश (केपेक्स) कर रही है, ताकि मार्केट लिस्टिंग के समय कंपनी का वैल्यूएशन अधिकतम हो सके।

 

क्या है अडानी एयरपोर्ट्स की IPO योजना?

अडानी ग्रुप ने पिछले कुछ वर्षों में भारत के कई प्रमुख एयरपोर्ट्स का अधिग्रहण किया है, जिनमें मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ और जयपुर जैसे बड़े हवाई अड्डे शामिल हैं। अब कंपनी इन एयरपोर्ट्स के व्यवसाय को मजबूत करने के बाद सार्वजनिक निवेशकों के लिए आईपीओ लाने की योजना बना रही है।

 

संभावित समयसीमा: मार्च 2027 तक (हालांकि यह बाजार स्थितियों पर निर्भर करेगा)।

लक्ष्य: एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को और विकसित करके कंपनी का वैल्यूएशन बढ़ाना।

केपेक्स प्लान: अडानी ग्रुप अगले 3-4 साल में एयरपोर्ट्स पर ₹60,000-80,000 करोड़ तक का निवेश कर सकता है।

 

अडानी एयरपोर्ट्स का विस्तार और भविष्य की रणनीति

अडानी ग्रुप ने 2020 में एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (AAI) से छह एयरपोर्ट्स का ऑपरेशन संभाला था। इसके बाद, उसने मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट (MIAL) का भी अधिग्रहण किया, जो देश का दूसरा सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है।

 

प्रमुख एयरपोर्ट प्रोजेक्ट्स:

नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट (NMIA):

₹18,000 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन।

2025 तक पहले चरण का काम पूरा होने की उम्मीद।

पूरा होने पर यह भारत का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा।

 

अहमदाबाद एयरपोर्ट का विस्तार:

नई टर्मिनल बिल्डिंग और रनवे क्षमता बढ़ाने पर काम चल रहा है।

ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स:

उत्तर प्रदेश (जेवर) और आंध्र प्रदेश में नए एयरपोर्ट्स की योजना।

 

आईपीओ से पहले कंपनी की तैयारियाँ

आईपीओ लाने से पहले, अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स को निम्न बातों पर ध्यान देना होगा:

रेवेन्यू स्ट्रीम बढ़ाना: एयरपोर्ट की आय के मुख्य स्रोत—एयरलाइन चार्जेस, रिटेल लीज और कार्गो हैंडलिंग—को मजबूत करना।

ऋण कम करना: कंपनी ने एयरपोर्ट अधिग्रहणों के लिए कर्ज लिया था, जिसे आईपीओ से पहले कम करना होगा।

प्रॉफिटेबिलिटी सुनिश्चित करना: निवेशकों को आकर्षित करने के लिए लाभदायकता जरूरी है।

 

निवेशकों के लिए क्या मायने हैं?

लॉन्ग-टर्म ग्रोथ स्टोरी: भारत में एयर ट्रैफिक तेजी से बढ़ रहा है, जिससे एयरपोर्ट ऑपरेटर्स को फायदा होगा।

 

रिस्क फैक्टर्स:

इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में देरी।

आर्थिक मंदी का एयरलाइन्स पर असर।

सरकारी नीतियों में बदलाव।

अडानी ग्रुप की अन्य लिस्टेड कंपनियों पर प्रभाव

अडानी एयरपोर्ट्स का आईपीओ समूह की अन्य कंपनियों (जैसे अडानी पोर्ट्स, अडानी पावर) के लिए भी सकारात्मक हो सकता है, क्योंकि इससे समूह का इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश मजबूत होगा।

 

निष्कर्ष: क्या यह आईपीओ निवेशकों के लिए अच्छा होगा?

अगर अडानी एयरपोर्ट्स अपनी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करता है और भारतीय एविएशन सेक्टर की ग्रोथ जारी रहती है, तो यह आईपीओ दीर्घकालिक निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर हो सकता है। हालाँकि, बाजार की स्थितियों और कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर नजर रखना जरूरी होगा।

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