बिहार सरकार ने छोटे और सीमांत किसानों के लिए खेती को आसान और किफायती बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में 38 नए फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने की योजना की घोषणा की है, जिसके लिए प्रति बैंक 8 लाख रुपये तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। यह पहल ‘सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मेकेनाइजेशन’ (एसएमएएम) योजना के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य आधुनिक कृषि यंत्रों को छोटे और सीमांत किसानों तक पहुंचाना है। बिहार के कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि अब तक राज्य में 569 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए जा चुके हैं, और इस नई योजना से किसानों की आय और उत्पादकता में वृद्धि होगी।
फार्म मशीनरी बैंक, जिन्हें कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) के रूप में भी जाना जाता है, किसानों को किराए पर आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराते हैं। इनमें ट्रैक्टर, रीपर, थ्रेशर, सीड ड्रिल, और स्ट्रॉ बेलर जैसे यंत्र शामिल हैं, जो जुताई, बुवाई, और कटाई जैसे कार्यों को कम समय और लागत में पूरा करते हैं। छोटे और सीमांत किसानों, जिनके पास महंगे यंत्र खरीदने की आर्थिक क्षमता नहीं होती, वे इन केंद्रों से कम लागत पर यंत्र किराए पर ले सकते हैं। प्रत्येक फार्म मशीनरी बैंक 10 किलोमीटर के दायरे में 300 से अधिक किसानों को सेवाएँ प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे खेती की लागत कम होगी और मुनाफा बढ़ेगा।
इस योजना के तहत, बिहार सरकार 40 से 80% तक की सब्सिडी प्रदान करती है, जिसमें अधिकतम 8 लाख रुपये प्रति बैंक की सहायता दी जाएगी। यह अनुदान व्यक्तिगत किसानों, सहकारी समितियों, या किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को दिया जाएगा, जो इन मशीनरी बैंकों की स्थापना और संचालन के लिए आवेदन करेंगे। आवेदन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए, बिहार कृषि विभाग ने ऑनलाइन पोर्टल https://onlinedbtagriservice.bihar.gov.in पर आवेदन शुरू किए हैं। इच्छुक आवेदक इस वेबसाइट पर जाकर आवश्यक विवरण भरकर आवेदन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए जिला कृषि कार्यालय या सहायक निदेशक (कृषि यंत्र) से संपर्क किया जा सकता है।
कृषि मंत्री ने बताया कि यह योजना बिहार के चौथे कृषि रोड मैप (2023-2028) का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य खेती को तकनीकी रूप से उन्नत और आर्थिक रूप से लाभकारी बनाना है। वित्त वर्ष 2024-25 में, कृषि यांत्रिकरण योजना के तहत 82.85 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी, जिसमें 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जा रही थी। इस वर्ष, सरकार ने छोटे यंत्रों, जैसे हसुआ और खुरपी, पर भी अनुदान शुरू किया है, ताकि छोटे किसानों को अधिकतम लाभ मिल सके।
यह योजना विशेष रूप से बिहार के उन 80% से अधिक किसानों के लिए फायदेमंद है, जो छोटे और सीमांत श्रेणी में आते हैं। बिहार में 1.6 करोड़ से अधिक किसान परिवार हैं, जिनमें से अधिकांश की जोत 2 हेक्टेयर से कम है। इन मशीनरी बैंकों से न केवल उनकी मेहनत कम होगी, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन भी बढ़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि आधुनिक यंत्रों के उपयोग से खेती की लागत में 20-30% की कमी आ सकती है।
बिहार सरकार की यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देगी। फार्म मशीनरी बैंक चलाने वाले उद्यमी स्थानीय स्तर पर सेवाएँ प्रदान करके अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। यह योजना बिहार को कृषि यांत्रिकरण के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।